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बिहार: पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण की बढ़ी सीमा को किया रद्द, इन राज्यों में अभी भी मिलता है 50 फीसदी से ज्यादा रिजर्वेशन

पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह संशोधन इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है।

Last Updated- June 20, 2024 | 1:40 PM IST
Bihar: Patna High Court canceled the increased limit of reservation, more than 50 percent quota is still available in these states बिहार: पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण की बढ़ी सीमा को किया रद्द, इन राज्यों में अभी भी मिलता है 50 फीसदी से ज्यादा कोटा

Bihar Reservation: पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ आज बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आज वंचित जातियों यानी एससी,एसटी, ईबीसी औऱ ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने के फैसले को रद्द कर दिया। गौरतलब है कि राज्य में जातिगत जनगणना (caste census) के बाद सरकार ने 2023 में विधानमंडल में कानून में संशोधन कर सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में इन वंचित वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा को बढ़ा दिया था।

उस समय नीतीश कुमार की पार्टी JDU की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 20%, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 2%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए 25% और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 18% तक कर दिया था। इस लिहाज से राज्य सरकार की तरफ से 65 फीसदी आरक्षण वंचित वर्ग को और 10 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों (EWS) को मिल गया और कुल आरक्षण का आंकड़ा 75 फीसदी पहुंच गया।

कोर्ट ने क्या कहा

कोर्ट ने बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को संविधान के दायरे से बाहर और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता खंड का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने उन याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुनाया, जिन्होंने रोजगार और शिक्षा के मामलों में नागरिकों के लिए समान अवसर के उल्लंघन के रूप में अधिनियमों को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह संशोधन इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के मामले में पारित सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। इस केस में सुप्रीम ने 1992 को फैसला सुनाते हुए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय की थी। बता दें कि इंदिरा गांधी बनाम भारत संघ को मंडल कमीशन केस के नाम भी जाना जाता है।

किन राज्यों में अभी भी मिलता है 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण

भले ही 1992 में इंदिरा साहनी केस 1992 पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आ गया कि कोई भी राज्य 50 फीसदी से ज्यादा का आरक्षण नहीं दे सकता लेकिन, भारत में कई ऐसे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां सीमा से अधिक आरक्षण दिया जाता है। अगर EWS के 10 फीसदी आरक्षण को हटा दिया जाए तो अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु और तेलंगाना 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देते हैं। इन राज्यों ने 50% आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करते हुए कानून पारित किए हैं।

हालांकि, रिजर्वेशन बढ़ाने के पीछे राज्यों के अपने-अपने कारण हैं। इन राज्यों का कहना है कि सरकार शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए अवसर की समानता देना चाहती है।

First Published - June 20, 2024 | 1:13 PM IST

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