भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) फर्जी अकाउंट क्लासीफिकेशन को लेकर जल्द ही रिवाइज गाइडलाइन जारी करेगा। यह इसलिए किया जा रहा है ताकी डिफॉल्टर को तुरंत बैंक फ्रॉड (Banking Fraud) घोषित नहीं कर सकें और उसके साथ न्याय किया जा सके।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने हाल में एक मामले की सुनवाई के बाद आदेश दिया था कि आरबीआई यह ध्यान में रखे कि लोन देने वाले संस्थान डिफॉल्टर को धोखेबाज का लेबल न लगा सकें। कोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि एक लोनधारक पर धोखाधड़ी घोषित करने से पहले उसे प्राकृतिक न्याय प्रदान किया जाना चाहिए।
कोर्ट के इस आदेश के बाद बैंकिंग सुपरविजन के प्रभारी डिप्टी गवर्नर मुकेश जैन ने गुरुवार को यहां पोस्ट-पॉलिसी प्रेसर के दौरान संवाददाताओं से कहा, “SBI बैंक की तरफ से दायर एक समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है।” .
शीर्ष अदालत ने एक मामले की सुनवाई में 27 मार्च को दिए आदेश में कहा कि बैंकों को किसी खाते को धोखाधड़ी के रूप में घोषित करने से पहले लोनधारक को सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करना चाहिए।
चीफ जस्टिस डी वाय के नेतृत्व वाली अदालत ने कहा था कि कहा कि किसी डिफॉल्टर को पर्याप्त नोटिस दिया जाना चाहिए और प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया जाना चाहिए।
इसी के चलते डिफॉल्टर लोनधारक को सुनवाई का पर्याप्त अवसर देने से संबंधित अदालत के आदेश के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक फ्रॉड अकाउंट क्लासीफिकेशन को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर सकता है। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।