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एयर इंडिया फ्लाइट AI171 कैसे हुई क्रैश? पहले हुए कोझिकोड, मंगलुरु और पटना हादसों से क्या मिली सीख

पटना, मंगलूरु और कोझिकोड में हुए विमान हादसों से अहमदाबाद दुर्घटना की जांच को मिल सकती है दिशा

Last Updated- July 13, 2025 | 10:01 PM IST
Air India plane crash
हादसे के बाद घटनास्थल का दृश्य | फाइल फोटो

अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास पिछले माह 12 जून को हुई एआई171 दुर्घटना के संबंध में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। जांचकर्ता अब इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि दुर्घटनाग्रस्त एयर इंडिया के इस विमान के ईंधन स्विच कटऑफ मोड में क्यों चले गए थे, जिससे दोनों इंजनों को तेल मिलना बंद हो गया और दुर्घटना हुई। देश में पिछले तीन बड़े वाणिज्यिक विमानन हादसों (पटना (2000), मंगलूरु (2010) और कोझिकोड (2020) से भी मौजूदा जांच प्रक्रिया में सुरक्षा के बारे में काफी कुछ सीखा जा सकता है।

पटना विमान हादसा (2000)

पटना में 17 जुलाई, 2000 को एलायंस एयर की उड़ान सीडी-7412 की दुर्घटना में 60 लोगों की मौत हो गई थी। मार्च 2001 को सरकार को सौंपी गई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि यह हादसा पायलट की गलती से हुआ था।

क्या हुआ था विमान के साथ

बोइंग 737-200 विमान कोलकाता से पटना और लखनऊ होते हुए दिल्ली के लिए उड़ा था। सुबह लगभग 7:30 बजे जब यह पटना हवाई अड्डे के पास पहुंचा तो विमान सुरक्षित रूप से उतरने के लिए निर्धारित ऊंचाई से बहुत ऊपर था। पालयटों ने ऊंचाई कम करने के लिए पूरे 360 डिग्री मोड़ लेने की अनुमति मांगी। यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है लेकिन घूमते समय विमान की लिफ्ट ने काम नहीं किया और यह गरदानी बाग आवासीय क्षेत्र में गिर गया।  एयर मार्शल पी राज कुमार के नेतृत्व में हुई जांच में पाया गया कि विमान तकनीकी रूप से ठीक था। दुर्घटना पायलटों की गलती से हुई थी।  

रिपोर्ट में क्या आया

रिपोर्ट में रखरखाव निरीक्षण और हवाई अड्डे की सुरक्षा में बदलाव, पटना हवाई अड्डे की क्षमताओं के मद्देनजर रिपोर्ट ने बिहटा एयरबेस को एक विकल्प के रूप में विकसित करने के साथ-साथ रनवे के पास पेड़ों को हटाने, आसपास यातायात कम करने, देश भर में नेविगेशनल उपकरण अपग्रेड करने और हवाई आपदाओं से निपटने के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मुर्दाघर सुविधाओं में सुधार करने जैसी सिफारिशें की गईं।

मंगलुरू हादसा (2010)

22 मई, 2010 को मंगलुरू हवाई अड्डे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान आईएक्स-812 की दुर्घटना में 158 लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में इसमें भी पायलटों की गलती सामने आई। जांच प्रमुख एयर मार्शल बी.एन. गोखले द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में विमान में कोई यांत्रिक खराबी नहीं पाई गई। दुबई से मंगलुरू जाने वाला बोइंग 737-800 विमान साफ-सुथरे मौसम के बावजूद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में सवार 166 लोगों में से केवल आठ ही बच पाए थे।

जांच में क्या सामने आया

जांच में पाया गया कि उतरते समय विमान की ऊंचाई एवं गति ज्यादा थी। लैंडिंग अ​स्थिर होने पर कप्तान गो-अराउंड करने में विफल रहा। यह भी पता चला कि कप्तान उड़ान के अधिकांश समय तक सोया रहा और संभवतः लैंडिंग के लिए ही अचानक जागा तो स्लीप इनर्शिया की ​स्थिति में था।

  प्रथम अधिकारी ने खतरे को पहचानने के बावजूद नियंत्रण नहीं लिया, जिससे कॉकपिट प्राधिकरण प्रोटोकॉल में कमियां उजागर हुईं। मंगलूरु हवाई अड्डे के चुनौतीपूर्ण टेबल-टॉप रनवे डिजाइन और सुरक्षा प्रणालियों में खामियां भी सामने आईं। जांच रिपोर्ट में हवाई अड्डों पर बेहतर पायलट थकान प्रबंधन, अस्थिर लैंडिंग से निपटने और कॉकपिट समन्वय के लिए बेहतर प्रशिक्षण तथा रनवे सुरक्षा प्रणालियों की स्थापना सहित महत्त्वपूर्ण विमानन सुरक्षा सुधारों की सिफारिश की गई थी।

कोझिकोड हादसा (2020)

7 अगस्त, 2020 को कोझिकोड हवाई अड्डे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान आईएक्स-1344 दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 21 लोग मारे गए और 169 घायल हुए थे। एएआईबी ने इस दुर्घटना की जांच में पायलट की गलती और संस्थागत सुरक्षा विफलताओं की ओर इशारा किया। वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से उड़े बोइंग 737-800 विमान ने भारी बारिश के दौरान कोझिकोड के चुनौतीपूर्ण टेबल-टॉप रनवे पर दो बार लैंडिंग का प्रयास किया। खराब दृश्यता के कारण पहले लैंडिंग प्रयास के विफल होने पर पायलटों ने तेज गति से विपरीत रनवे पर उतरने की रणनीति अपनाई। विमान 8,858 फुट के रनवे पर लगभग आधे रास्ते पर उतरा, जिससे रुकने की दूरी अपर्याप्त रह गई। पायलट ने प्रथम अधिकारी के लैंडिंग रद्द करने की सलाह को नहीं माना और विमान 110 फीट गहरी खाई में जा गिरा।

रिपोर्ट में की गई सिफारिशें

एएआईबी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पायलटों की सख्त चिकित्सीय निगरानी खासकर दवा के उपयोग के संबंध में व्यापक सुधारों की बात कही। इसने एयरलाइनों को गीले रनवे पर उड़ान संचालन के लिए आधुनिक सिम्युलेटर प्रशिक्षण लागू करने और चालक दल संसाधन प्रबंधन प्रोटोकॉल को मजबूत करने का आदेश दिया। हवाई अड्डों को 300 मीटर तक रनवे सुरक्षा क्षेत्रों का विस्तार करने और 2024 तक सभी टेबल-टॉप रनवे पर सेंटरलाइन लाइटिंग स्थापित करने की भी सिफारिश की। डीजीसीए ने मानसून के दौरान 10 समुद्री मील से अधिक की टेलविंड के साथ लैंडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया और 100 प्रतिशत उड़ान डेटा निगरानी अनिवार्य कर दी।

First Published - July 13, 2025 | 10:01 PM IST

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