भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को गवर्नर ऑफ द ईयर उपाधि से सम्मानित किया गया है। फाइनैशियल पब्लिशर सेंट्रल बैंकिंग ने दास को उपाधि दी। सेंट्रल बैंकिंग ने चुनौतीपूर्ण सुधारों और विश्व के अग्रणी नवाचार की देखरेख के लिए दास की तारीफ की।
सेंट्रल बैंकिंग के स्टॉफ ने लिखा, ‘‘दास ने सुधार प्रक्रिया की रक्षा की है और इसे स्वयं आगे बढ़ाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पूर्ववर्ती फैसले में दिवालियापन संहिता को नकार दिया था लेकिन दास इस संहिता को अमलीजामा पहनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बैंकों को नकदी बढ़ाने, आरबीआई में पर्यवेक्षण विभाग गठित करने के लिए पुनर्गठन किया और अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित करने के लिए कॉलेज ऑफ सुपरविजन की स्थापना की थी। ’’
सेंट्रल बैंकिंग ने पूर्व गर्वनर रघुराम राजन को 2015 में गर्वनर ऑफ द ईयर की उपाधि से सम्मानित किया था। सेंट्रल बैंकिंग पब्लिकेशन फाइनैशियल प्रकाशक है। इसका विशेषज्ञता सार्वजनिक नीति और फाइनैशियल मार्केट में है।
सेंट्रल बैंकिंग के मुताबिक, ‘‘दास का सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान संकट (कोविड) के दौरान प्रबंधन करना था। वे डर के माहौल में शांति की आवाज के रूप में दिखाई दिए। उन्होंने एक तरफ अत्यधिक राजनीतिक दबाव और दूसरी तरफ आर्थिक आपदा के दौरान कुशलतापूर्वक आरबीआई का मार्गदर्शन किया।’’ आरबीआई कोविड संकट के दौरान ब्याज दर को गिराकर रिकार्ड निचले स्तर पर ले आया था।
इससे बैंकिग सिस्टम में नकदी बढ़ गई थी। इस दौरान अभूतपूर्व कार्यक्रम के तहत सरकारी बॉन्ड की खरीदारी की गई। बेड लोन के पुनर्गठन में बैंकों को कुछ छूट भी दी गई।
पब्लिकेशन के अनुसार, ‘महामारी के दौरान में गैर निष्पादित आस्तियों का खतरा बहुत बड़ गया था लेकिन विश्व के किसी भी देश की तुलना में भारत सबसे अधिक तेजी से उबरा।’