facebookmetapixel
पोर्टफोलियो को चट्टान जैसी मजबूती देगा ये Cement Stock! Q2 में 268% उछला मुनाफा, ब्रोकरेज ने बढ़ाया टारगेट प्राइससरकार फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को हासिल करेगी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जताया भरोसाBilaspur Train Accident: बिलासपुर में पैसेंजर ट्रेन-मालगाड़ी से भिड़ी, 4 की मौत; ₹10 लाख के मुआवजे का ऐलानAlgo और HFT ट्रेडिंग का चलन बढ़ा, सेबी चीफ ने मजबूत रिस्क कंट्रोल की जरूरत पर दिया जोरमहाराष्ट्र में 2 दिसंबर को होगा नगर परिषद और नगर पंचायत का मतदानउत्तर प्रदेश में समय से शुरू हुआ गन्ना पेराई सत्र, किसानों को राहत की उम्मीदछत्तीसगढ़ के किसान और निर्यातकों को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, फोर्टिफाइड राइस कर्नल का किया पहली बार निर्यातBihar Elections: दूसरे चरण में 43% उम्मीदवार करोड़पति, एक तिहाई पर आपराधिक मामले; जेडीयू और कांग्रेस भाजपा से आगेIndiGo Q2FY26 results: घाटा बढ़कर ₹2,582 करोड़ पर पहुंचा, रेवेन्यू 9.3% बढ़ाNFO Alert: फ्रैंकलिन टेंपलटन ने उतारा नया मल्टी फैक्टर फंड, ₹500 की SIP से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसा

32 साल बाद महिला को तलाक मामले में मिला न्याय, सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता बढ़ाकर 30 लाख रुपये किया

कोर्ट ने पति को 20 लाख रुपये की जगह 30 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

Last Updated- September 03, 2024 | 7:37 PM IST
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला के तलाक के मामले में न्यायिक प्रणाली की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में महिला और उसके बेटे के साथ न्याय नहीं हुआ। महिला की शादी 1991 में हुई थी और एक साल बाद उसने बेटे को जन्म दिया। इसके बाद उसके पति ने उसे छोड़ दिया और तलाक के लिए कर्नाटक की पारिवारिक अदालत में अर्जी दी। अदालत ने तीन बार पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया, जबकि पति ने महिला या उनके बेटे के लिए कोई आर्थिक सहायता नहीं दी।

महिला ने हाई कोर्ट में अपील की, जिसने कई बार पारिवारिक अदालत को फिर से विचार करने का आदेश दिया। लेकिन हर बार पति को तलाक मिल गया। तीसरी बार, हाई कोर्ट ने पति को 20 लाख रुपये की गुजारा भत्ता देने के साथ तलाक मंजूर कर लिया, जबकि स्थानीय अदालत ने महिला को 25 लाख रुपये गुजारा भत्ता का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुयान की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा कि पति ने सालों तक महिला के साथ क्रूरता की और अपने बेटे के भविष्य की कोई चिंता नहीं की। कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के फैसलों की आलोचना की, जिसमें बार-बार तलाक दिया गया।

हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि पति-पत्नी 1992 से अलग रह रहे हैं, इसलिए तलाक का फैसला शर्तों के साथ बरकरार रखा गया। कोर्ट ने पति को 20 लाख रुपये की जगह 30 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि जिस घर में महिला, उसका बेटा और उसकी सास रहते हैं, वह उनके पास ही रहेगा और पति को उस घर में हस्तक्षेप नहीं करने दिया जाएगा।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पति के पास कोई और संपत्ति है, तो बेटे को उस पर प्राथमिकता के आधार पर अधिकार होगा। अगर पति ने इन आदेशों का पालन नहीं किया, तो तलाक का फैसला रद्द कर दिया जाएगा। कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह तीन महीने के भीतर गुजारा भत्ता का भुगतान करें, जिसमें 3 अगस्त, 2006 से सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी शामिल हो।

अगर पति ने समय पर भुगतान नहीं किया, तो पारिवारिक अदालत कानूनी कार्रवाई करेगी। (PTI के इनपुट के साथ)

First Published - September 3, 2024 | 7:36 PM IST

संबंधित पोस्ट