Modi Sarkar: आर्थिक संकेतकों में सुधार के मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार का प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। अर्थव्यवस्था की सेहत बताने वाले हाल में जो संकेत आए हैं उन पर कोविड महामारी से मची उथल पुथल का असर दिखता है। मोदी सरकार के कार्यकाल में प्रमुख सामाजिक लक्ष्यों पर तुलनात्मक रूप से सतत प्रगति हुई है।
मोदी सरकार को 26 मई को सत्ता में आए हुए नौ वर्ष पूरे हो जाएंगे। इन नौ वर्षों के दौरान देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2 लाख डॉलर (2014) से बढ़कर लगभग 3 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमान के अनुसार 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 5 लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो जाएगा।
इसी अवधि में औसत भारतीय की आय 2022-23 में 43 प्रतिशत अधिक रही। इसकी तुलना में 2014-15 में समाप्त नौ वर्षों की अवधि के दौरान औसत आय में 50.5 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
प्रति व्यक्ति आय की गणना मोटे तौर पर प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय के संदर्भ में की जाती है। कोविड महामारी का असर हाल के वर्षों में आर्थिक वृद्धि पर हुआ है। इससे सरकार की राजकोषीय स्थिति पर प्रतिकूल असर हुआ है।
व्यापार सुस्त रहने से भी देश का आर्थिक गति सुस्त रही है। वर्ष 2014-15 से आयात की तुलना में देश से होने वाला निर्यात कम रफ्तार से बढ़ा है। हालांकि, महंगाई दर में जरूर कमी आई है जो 2013 में काफी ऊंचे स्तरों पर चली गई थी।
प्रमुख सामाजिक संकेतकों में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार शिशु मृत्यु दर काफी कम हो गई है। 2019-21 में कराए गए सर्वेक्षण से पहले पांच वर्ष की अवधि में प्रत्येक 1,000 शिशुओं में 35 की मृत्य हो जाती थी। इससे पहले 2015-16 में समाप्त होने वाली अवधि में यह दर प्रति 1,000 शिशु 41 थी।
सरकार द्वारा शुरू स्वच्छ भारत अभियान का बड़ा योगदान
नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार मातृ मृत्यु अनुपात भी कम होकर 2018-20 के दौरान प्रति 1,00,000 प्रसव के दौरान कम होकर 97 रह गया। 2014-16 अवधि में यह अनुपात 1,00,000 प्रसव 130 था। देश के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वच्छता सेवाओं में सुधार हुआ है।
सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान का इसमें बड़ा योगदान रहा है। 2019-21 के दौरान लगभग 70 प्रतिशत परिवारों ने बेहतर स्वच्छता सेवाओं का इस्तेमाल किया जबकि इसकी तुलना में 2015-16 में यह अनुपात 48.4 प्रतिशत था।
कुल मिलाकर, भारत में 2019-21 के दौरान 58.6 प्रतिशत परिवारों ने रसोई में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल किया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत निःशुल्क गैस कनेक्शन दिए जाने से स्वच्छ ईंधन के इस्तेमाल के अभियान को बल मिला।
ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 43 प्रतिशत परिवारों ने स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल किया जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 89.7 प्रतिशत रहा।