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2001 Parliament attack anniversary: संसद पर आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को लोकसभा-राज्यसभा ने दी श्रद्धांजलि

Last Updated- December 13, 2022 | 5:21 PM IST
parliament attck anniversary

संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) ने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के शहीदों को मंगलवार को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का संकल्प दोहराया। दोनों सदनों के सदस्यों ने कुछ पल मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

लोकसभा की कार्यवाही आरंभ होने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘हम उस घटना का दुखद स्मरण करते हैं जब संसद पर कायरतापूर्ण हमला हुआ था। हम उन जवानों की वीरता का भी स्मरण करते हैं जिन्होंने इस हमले को विफल कर दिया।’ उन्होंने कहा, ‘हम संसद सुरक्षा सेवा, दिल्ली पुलिस, केंद्रीय पुलिस बल के रिजर्व बल के शहीद आठ जवानों को सर्वोच्च बलिदान का भी स्मरण करते हैं। यह सभा शहीदों को श्रद्धांजलि देती है और उनके परिवारों के साथ खड़ी है।’

बिरला ने कहा, ‘इस अवसर पर हम आतंकवाद सामना करने के अपने संकल्प को दोहराते हैं तथा अपने देश की राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा की शपथ को भी दोहराते हैं।’ उधर, राज्यसभा की कार्यवाही कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश ने कहा कि 13 दिसंबर को स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे खराब दिन के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि 21 साल पहले 2001 में आतंकवादियों ने लोकतंत्र के इस मंदिर पर हमला कर दिया था लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने वीरता और बहादुरी का परिचय देते हुए संसद की रक्षा की और हमारे देश की आत्मा पर हमला करने के आतंकवादियों के दुस्साहसिक प्रयास को विफल कर दिया। उपसभापति ने कहा, ‘तब से इस दिन, हम न केवल इस कायरतापूर्ण कृत्य में शहीद हुए लोगों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हैं, बल्कि आतंकवाद के सभी रूपों की अपनी स्पष्ट निंदा को भी दोहराते हैं।’

उन्होंने कहा कि आतंकवाद हर जगह सभी लोगों के लिए खतरा है और वह शांति एवं सुरक्षा को कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के सभी कृत्य आपराधिक, अमानवीय और अनुचित हैं और आतंकवाद पर देश के अंतरराष्ट्रीय रुख में यह आह्वान भी किया गया है कि इसे बुरे या अच्छे के रूप में वर्गीकृत करने पर रोक लगनी चाहिए। हरिवंश ने यह भी कहा, ‘आतंकवाद का साया अभी भी मानवता को परेशान करता है और पिछले कुछ वर्षों में आतंकवादी खतरों ने एक घातक चरित्र ग्रहण कर लिया है, जिससे दुनिया भर के देशों के लिए इस खतरे से निपटना मुश्किल हो गया है।’

गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हुए थे। एक कर्मचारी और एक फोटो पत्रकार की भी हमले में मौत हो गई थी।

First Published - December 13, 2022 | 5:21 PM IST

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