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बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत FDI की अनुमति देने का समय: Irdai चीफ देवाशिष पांडा

बीमा नियामक देवाशिष पांडा का बड़ा बयान: 2047 तक हर भारतीय को बीमा देने का लक्ष्य!

Last Updated- November 08, 2024 | 10:47 PM IST
Debasish Panda

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष देवाशिष पांडा का कहना है कि नए नियामकीय ढांचे का जोर कारोबार सुगमता, अनुपालन का बोझ कम करने पर है। साथ ही बीमा उद्योग को उन क्षेत्रों में विस्तार करना होगा जहां कम सेवाएं दी गई हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक तमाल बंद्योपाध्याय के साथ बातचीत के अंश…

बीमा क्षेत्र में कैसे बदलाव आ रहा है?

बीमा की पहुंच हर घर तक, सभी नागरिकों तक और सभी उद्यमों तक होनी चाहिए। जब हम 2047 तक विकसित भारत की बात कर रहे हैं तब यह जरूरी है कि उस वक्त तक हमारे समाज के सभी लोगों का बीमा हो चुका हो और समाज के सभी लोग बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा रहे हों। हम देख रहे हैं कि बीमा को कैसे उपलब्ध, सुलभ, किफायती बनाया जा सकता है और इसके अलावा हम बीमा को एक योजना के तौर पर भरोसमंद कैसे बना सकते हैं।

ऐसा करने के लिए, सबसे पहले यह महत्वपूर्ण था कि नियामक व्यवस्था पूरी तरह से बदली जाए। इसलिए हमने हितधारकों की कई समितियों का गठन करके कई समीक्षा कर यह जानने की कोशिश की कि इसमें किस तरह का अंतर है और इसे अधिक दक्ष और प्रगतिशील बनाने के साथ ही ग्राहकों की जरूरतें पूरी करने के लिए क्या आवश्यक है।

नियामकीय सुधार के बाद हमारे दिमाग में प्रौद्योगिकी सबसे अहम थी। हमने कीमतों पर भी ध्यान दिया ताकि बीमा किफायती हो सके। लेकिन हम चाहते हैं कि बाजार कीमतें तय करे। हालांकि हमने पॉलिसीधारकों की सुरक्षा के उपाय किए हैं। इसलिए, हमने कंपनी स्तर पर खर्चों की एक सीमा तय की है। यह कंपनियों को यह तय करने की अनुमति देती है कि वे अपने वितरकों और प्रबंधन टीम को कैसे पारिश्रमिक देना चाहते हैं।

इसके अलावा हम वर्ष 2000 के बाद की पीढ़ी की मांग के हिसाब से पेशकश करने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा हम बीमा सुगम की पेशकश करेंगे जो सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा होगा जो ग्राहकों को चयन का विकल्प देगा और वितरकों को इससे तुरंत लाभ होगा क्योंकि वे कम समय में किफायती कीमत पर ट्रांजैक्शन पूरा करने में सक्षम होंगे।

आईआईबी के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?

आईआईबी, बीमा क्षेत्र के लिए एक डेटा कोष है लेकिन हम इसे केवल इसी रूप में नहीं रखना चाहते हैं बल्कि डेटा एनालिटिक्स और सार्थक डेटा साझेदारी के क्षेत्र में जाना चाहते हैं जिसका इस्तेमाल उद्योग द्वारा अंडरराइटिंग करने, कीमतें तय करने, दावे का निपटान करने और फर्जीवाड़े की रोकथाम के लिए किया जाएगा। सभी जीवन बीमा, सामान्य बीमा और स्वास्थ्य बीमा कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही हैं। प्रत्येक कंपनी एक अनूठे एपीआई इंटरफेस के जरिये आईआईबी में शामिल हो रही है। उद्योग आईआईबी की ताकक और अहमियत को समझता है।

‘बीमा सुगम’ कैसे बड़ा बदलाव लाने वाला साबित होगा?

यह ग्राहकों की बीमा सेवाओं तक आसान पहुंच बनाने में मददगार साबित होता है और वितरण के मौके बढ़ाता है। हमें वितरकों की तीन गुना अधिक संख्या की जरूरत है क्योंकि हमें 1.4 अरब लोगों को सेवाएं देनी है। बीमा सुगम के चलते वितरक अधिक बीमा योजनाएं बेच सकते हैं क्योंकि सभी चीजें अब ऑनलाइन हैं।

इसके लिए ग्राहकों को पहचान पत्र देने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसकी प्रक्रिया आधार संख्या के जरिये स्वचालित तरीके से पूरी होगी और इसकी वजह यह है कि बीमा सुगम इंडियास्टैक से जुड़ा होगा।

इसका भुगतान यूपीआई के जरिये होगा और कंपनी की अंडरराइटिंग मशीन तुरंत ही पॉलिसी तैयार करने और ग्राहकों को डिजिटल प्रारूप में पॉलिसी देने के लिए सक्रिय दिखेगी। इसलिए अब वितरक ज्यादा सक्षम हैं और उनकी मेहनताना भी बढ़ेगा।

पुनर्बीमा में कैसे बदलाव कर रहे हैं?

हमने पुनर्बीमा नियमन में कई बदलाव किए हैं। हम घरेलू पुनर्बीमा कंपनियों के लिए दरवाजे खोल रहे हैं। हम पुनर्बीमा क्षेत्र में निवेश के लिए बड़े निवेशकों की तलाश में हैं जो पहले से ही प्राथमिक बीमा क्षेत्र में हैं।

बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत एफडीआई कम होगा?

हम जब वर्ष 2047 तक सबके लिए बीमा की बात कर रहे हैं तब हमें पूंजी की जरूरत होगी और इसका मतलब यह है कि इस क्षेत्र में नई कंपनियां आएंगी। यह बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत एफडीआई का समय है ताकि अधिक खिलाड़ी भारत में आएं और बिना किसी भारतीय साझेदार के अपनी शर्तों पर परिचालन करें।

First Published - November 8, 2024 | 10:47 PM IST

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