रुपये ने सोमवार को कारोबार के अंत तक अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7 पैसा कमजोर होकर 83.22 पर बंद हुआ। शुक्रवार को रुपया 83.29 पर बंद हुआ था।
डीलरों का कहना है कि अनुमान से कम अमेरिकी गैर-कृषि रोजगार के आंकड़ों के बाद डॉलर सूचकांक में गिरावट आई और रुपया 14 पैसे मजबूत होकर खुला।
यह आंकड़ा 150,000 पर रहा जबकि इसके 180,000 के आसपास रहने का अनुमान जताया गया था। इसके अलावा अमेरिकी बेरोजगारी दर भी 3.8 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले 3.9 प्रतिशत पर रही।
सरकार के स्वामित्व वाले बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘रोजगार आंकड़े के बाद डॉलर कमजोर हो गया। इसलिए रुपया तेजी के साथ खुला। बाद में विदेशी बैंकों ने डॉलर में खरीदारी की जिससे कुछ इक्विटी निकासी दर्ज की गई और आखिरकार रुपये में गिरावट आ गई।’
बाजार कारोबारियों का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को गिरने से बचाने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया। एक अन्य सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘आरबीआई ने 83.24 प्रति डॉलर के स्तर पर हस्तक्षेप किया। राष्ट्रीयकृत बैंकों ने उसकी ओर से डॉलर बेचे।’
शुक्रवार को अनुकूल आंकड़ों के बाद 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर प्रतिफल घट गया। डीलरों का कहना है कि हालांकि आरबीआई द्वारा ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) नीलामी को लेकर जारी अनिश्चितता से कारोबारियों ने बड़े दांव लगाने से परहेज किया।
10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल शुक्रवार की तुलना में 7.31 प्रतिशत पर सपाट बंद हुआ। डीलरों का कहना है कि कुछ कारोबारियों ने मुनाफे पर बॉन्ड बेचे जिससे प्रतिफल को बढ़ावा मिला। एक अन्य डीलर ने कहा, ‘जिन कारोबारियों ने 7.34-7.35 के स्तर पर खरीदारी की थी, उन्होंने सोमवार को बिकवाली की।’
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने मौद्रिक नीतिगत बयान में कहा था कि केंद्रीय बैंक तरलता बढ़ाने के लिए ओएमओ का रास्ता अपना सकता है। हालांकि केंद्रीय बैंक ने ओएमओ बिक्री के लिए कोई समय-सीमा नहीं बताई और कहा कि यह मौजूदा नकदी हालात पर निर्भर करेगा।