जीवन बीमा कंपनियों के पास वित्त वर्ष 2024 के आखिर तक 20,000 करोड़ रुपये से अधिक ऐसी राशि बची हुई है जिसका कोई दावेदार नहीं है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) की विभिन्न पहल के चलते बिना दावे वाली रकम की राशि वित्त वर्ष 2024 के अंत में मामूली कमी के साथ 20,062 करोड़ रुपये हो गई जो वित्त वर्ष 2024 की शुरुआत में 22,237 करोड़ रुपये थी।
आईआरडीए ने वित्त वर्ष 2024 की अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया, ‘बिना दावे वाली राशि को कम करने, ग्राहकों को रिफंड देनी की प्रक्रिया में तेजी लाने और बीमा कंपनियों के पास बिना दावे वाली बढ़ती राशि को कम करने के लिए जून 2023 से नवंबर 2023 तक छह महीने की अवधि के दौरान एक
विशेष अभियान शुरू किया गया था। इस अवधि के दौरान जीवन बीमा कंपनियों के पास पड़ी बिना दावे वाली राशि के निपटान की प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर की जा रही थी।’
इस अवधि के दौरान उद्योग में जीवन बीमा कंपनियों के पास बिना दावे वाली राशि में 1,081 करोड़ रुपये की कमी आई जो वित्त वर्ष की शुरुआत में 22,237 करोड़ रुपये थी। नियामक ने इस साल फरवरी में ‘बिना दावे वाली राशि पर मास्टर सर्कुलर’ में संशोधन की पहल की थी बिना दावे वाली राशि की पहचान करने के साथ ही उसका बेहतर तरीके से वितरण किया जा सके और इसके लिए ‘बिना दावे वाली राशि’ सहित कुछ परिभाषाओं में भी संशोधन किए गए थे।
इसके अलावा मौजूदा बिना दावे वाली राशि में कमी लाने के लिए बीमा कंपनियों किस तरह के कदम उठाएं इसका भी सुझाव दिया गया। इसके अलावा बीमा सूचना ब्यूरो (आईआईबी) ने भी दो साल में करीब 80,000 बिना दावे वाले मामले में वैकल्पिक संपर्क ब्योरा मुहैया कराया है जिसमें 9,000 करोड़ रुपये की राशि जुड़ी है।