भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2024 की पहली छमाही में विनियमित इकाइयों (आरई) के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई पिछले साल की दूसरी छमाही की तुलना में 10 फीसदी बढ़ी है। हालांकि इस दौरान इन इकाइयों पर लगाए गए जुर्माने की राशि में करीब 60 फीसदी की कमी आई है।
वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2023 से मई 2024 के बीच बैंकिंग नियामक ने 161 इकाइयों के खिलाफ प्रवर्तन संबंधी कार्रवाई की है, जो जून 2023 और नवंबर 2023 के दौरान 146 इकाइयों के खिलाफ थी। बहरहाल बैंकिंग नियामक द्वारा लगाया गया कुल जुर्माना इस दौरान घटकर 22.83 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 57.07 करोड़ रुपये था।
मौद्रिक जुर्माना रिजर्व बैंक द्वारा जारी वैधानिक प्रावधानों और निर्देशों का अनुपालन न करने या उनका उल्लंघन करने का हवाला देते हुए लगाया गया था। बैंकिंग नियामक ने एफएसआर रिपोर्ट में कहा है, ‘घरेलू नियामकीय पहलों का ध्यान वित्तीय मध्यस्थों के टिकाऊपन, वित्त बाजारों में दक्षता को बढ़ावा देने, विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करने, विनियामक अनुपालन प्रक्रिया व्यवस्थित करने और ग्राहक सुरक्षा के उपाय बढ़ाने पर है। ’
दिसंबर 2023 से मई 2024 के बीच रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के 4 बैंकों, निजी क्षेत्र के 9 बैंकों, एक लघु वित्त बैंक, 1 विदेशी बैंक और 2 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर जुर्माना लगाया। नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों में 132 सहकारी बैंक, 9 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) और 3 हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां (एचएफसी) शामिल हैं।
दिसंबर 2022 और मई 2023 के बीच रिजर्व बैंक ने 122 विनियमित इकाइयों पर 26.34 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता को देखते हुए नीति निर्माताओं ने वित्तीय व्यवस्था के लचीलेपन और नियमन और पर्यवेक्षण में सुधार पर जोर देना जारी रखा है। रिजर्व बैंक के मुताबिक वैश्विक नियामकीय कवायदें जोखिम कम करने पर केंद्रित हैं।