भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों को अपनी आईटी व्यवस्था पर निवेश करने की जरूरत है, जिससे देश में डिजिटल भुगतान की वृद्धि की रफ्तार के साथ तालमेल बरकरार रह सके।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘बैंकों को आईटी पर पर्याप्त रूप से निवेश करने की जरूरत है। मैं यह नहीं कह रहा कि बैंक ऐसा नहीं कर रहे हैं। दरअसल आईटी व्यवस्थाओं, इसकी क्षमताओं और कुल मिलाकर पूरे बुनियादी ढांचे को कारोबार में वृद्धि के साथ तालमेल रखना होगा।’
रिजर्व बैंक ने यह नहीं बताया कि नियमन के दायरे में आने वाली इकाइयों जैसे बैंकों को आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर कितनी राशि खर्च करने की जरूरत है। ऑनलाइन धन हस्तांतरण व्यवस्था को 4 जून को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा था।
उस दिन निवेशक म्युचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी बाजार में बिकवाली का लाभ उठाने को इच्छुक थे। वे ऐसा करने में विफल रहे, क्योंकि फंड हाउसों को भुगतान हस्तांतरण में देरी हुई।
यूपीआई से जुड़ी भुगतान संबंधी समस्याओं के बारे में दास ने कहा कि बैंक की ओर से चुनौतियां पैदा होती हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर देकर कहना चाहता हूं कि अगर कोई गड़बड़ी हो रही है तो यूपीआई की ओर से या एनपीसीआई की ओर से कोई समस्या नहीं हो रही है। समस्या बैंक से ही आ रही है। हमें यह ध्यान में रखना चाहिए।’
किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में रिजर्व बैंक की साइबर सुरक्षा और सूचना तकनीक जांच (सीएसआईटीई) टीम संबंधित बैंक से संपर्क करती है, समस्या की निगरानी करती है और आवश्यक कार्रवाई के लिए उस पर नजर रखती है।
दास ने कहा, ‘अगर कोई समस्या है तो हम देखते हैं कि क्या व्यवस्था में कोई खामी है और हम बैंक को सलाह देते हैं क वह आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई करे। साथ ही आपदा रिकवरी सेंटरों (डीआरसी) को भी हमेशा सक्रिय रहने की जरूरत है।’
बैंकों को नियोजित और अनियोजित व्यवधान की जानकारी रिजर्व बैंक के पोर्टल पर देनी होती है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमण ने कहा, ‘अगर कोई बाहरी इकाइयां हैं तो हम उनसे द्विपक्षीय बातचीत करते हैं और हम उन्हें व्यवसाय के स्तर में वृद्धि के अनुपात में उनके बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए सुधारात्मक कार्ययोजना भी जारी करते हैं।’
बैंकों पर दबाव कम करने के लिए रिजर्व बैंक यूपीआई लाइट को प्रोत्साहित कर रहा है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने कहा, ‘यूपीआई लाइट वॉलेट का मकसद बैंक व्यवस्था पर दबाव कम करना है। इसलिए यूपीआई लाइट धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है।
इस समय हर महीने करीब 1 करोड़ ट्रांजैक्शन यूपीआई लाइट से हो रहा है। एक समय बाद अगर यह बढ़ जाता है, बैंक व्यवस्था पर दबाव घट जाएगा।’ यूपीआई लाइट एक ऑन-डिवाइस वॉलेट है, जिसमें उपयोगकर्ता यूपीआई पिन का इस्तेमाल किए बगैर 500 रुपये तक का भुगतान कर सकता है।