कारोबार की ऑर्डर प्रक्रिया में बदलाव से फ्रीक सौदों से होने वाले नुकसान को सीमित करने में मदद मिलेगी। यह बदलाव सोमवार से प्रभावी है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अब ऐसे स्टॉप लॉस ऑर्डरों की अनुमति नहीं देगा, जिनका इस्तेमाल कारोबारी नुकसान की आशंका में बाजार पोजीशन से निकलने में करते हैं, भले ही बाजार में कीमत कुछ भी हो। इस कदम से फ्रीक सौदों की स्थिति में होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिलने की संभावना है। इन सौदों से ऑर्डर एंट्री में गलतियों की वजह से कीमत में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है।
एनएसई के 21 सितंबर के सर्कुलर में कहा गया, ‘सदस्यों से यह ध्यान रखे जाने का अनुरोध किया जाता है कि विकल्प अनुबंधों के लिए स्टॉप लॉस आर्डर विद मार्केट कंडीशन (एसएल-एम) एक्सचेंज द्वारा 27 सितंबर 2021 से बंद किए जाने चाहिए। उपुर्यक्त स्थिति में (यदि कोई हो) प्लेस किए गए ऑर्डरों को एक्सचेंज द्वारा ठुकराया जाना चाहिए। स्टॉप लॉस ऑर्डर विद लिमिट कंडीशन (एसएलएल) सभी अनुबंधों के लिए उपलब्ध बने रहने चाहिए।’
एनएसई द्वारा 16 अगस्त से कारोबार के संदर्भ में भाव पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद से ऐसे सौदों की संख्या बढ़ गई थी। कारोबारियों ने तब से डेरिवेटिव सेगमेंट में फ्रीक सौदे किए। इनमें निफ्टी 50 सूचकांक अनुबंध में ऑप्शन कारोबारियों के लिए 20 अगस्त, 7 सितंबर को निफ्टी बैंक इंडेक्स ऑप्शन के घटनाक्रम शामिल हैं। एक्सचेंज के अधिकारी ने फ्रीक कारोबार के मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेज मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) के निदेशक राजेश बहेटी का कहना है कि कारोबार क्रियान्वयन सीमा बाजार की गति को प्रभावित कर रही थी। इससे वह कीमत प्रभावित हो रही थी, जिस पर आखिरी एक मिनट के दौरान औसत कीमत पर कारोबार किया जा सके।
