कोविड-19 महामारी के दौरान वित्तीय मुसीबत में फंसने वाले लोगों के लिए नकदी की जरूरत पूरी करने में गोल्ड लोन सहारा बना। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक इस श्रेणी में बकाया ऋण 27 अगस्त को 62,926 करोड़ रुपये था, जिसमें साल भर पहले के मुकाबले 66.2 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। यह वृद्धि लोगों को दिए गए ऋणों की सभी श्रेणियों में सबसे तेज है। ऐसा लगता है कि ये ऋण निकट भविष्य में भी लोकप्रिय बने रहेंगे। क्रिसिल की हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां इस वित्त वर्ष में 18 से 20 फीसदी बढऩे का अनुमान है। एनबीएफसी ही मुख्य रूप से सोने पर कर्ज देती हैं। पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) ने अपने गोल्ड लोन को आकर्षक बनाने की कोशिश की है, जिसने आभूषणों पर ऋण की ब्याज दर घटाकर 7.3 फीसदी कर दी है।
छोटे उद्यमों के मालिक बड़े पैमाने पर ऐसे ऋण लेते हैं। डीसीबी बैंक के प्रमुख (खुदरा बैंकिंग) प्रवीण कुट्टी ने कहा, ‘बहुत से उद्यमियों को त्योहारी सीजन से पहले अपना कारोबार दोबारा शुरू करने या इसे बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद की दरकार है। उनके लिए कार्यशील पूंजी जुटाने और अपने कारोबार में लगाने के लिए गोल्ड लोन सबसे त्वरित तरीका है।’
जल्द नकदी
गोल्ड लोन से कर्ज लेने वालों को तुरंत नकदी मिल जाती है। एंड्रोमेडा और अपनापैसा के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) वी स्वामीनाथन ने कहा, ‘ये दस्तावेज बिना किसी कागजी-कार्रवाई के लिए जा सकते हैं। कर्जदार को आय का कोई सबूत नहीं दिखाना पड़ता है। कर्ज की रकम भी तुरंत ही दे दी जाती है। पर्सनल लोन या संपत्ति को गिरवी रखकर ऋण लेने में ज्यादा समय लगता है।’ कर्जदारों को यह भी आजादी होती है कि वे इन ऋणों से जुटाई गई धनराशि का अपनी इच्छानुसार किसी भी तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। ऋणदाता को व्यय का कोई भी सबूत नहीं देना पड़ता है। इन ऋणों को चुकाने की शर्तें भी काफी लचीली होती हैं। कर्जदार समान मासिक किस्तों (ईएमआई) या एकमुश्त भुगतान कर सकते हैं। एकमुश्त भुगतान का विकल्प उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जिनकी आमदनी निश्चित नहीं है और जिन्हें मासिक किस्त चुकाने में दिक्कत आती है। ये ऋण महंगे भी नहीं होते हैं।
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, ‘यह संपत्ति गिरवी रखकर दिया जाने वाला ऋण है और इसलिए पसर्नल लोन या क्रेडिट कार्ड कर्ज जैसे संपत्ति गिरवी रखे बिना दिए जाने वाले ऋणों से सस्ता है।’ शेट्टी के मुताबिक एक अन्य फायदा यह है कि निम्न या बिना क्रेडिट प्रोफाइल वाले लोगों को भी गोल्ड लोन मिल सकता है। डीसीबी जैसे कुछ बैंक ग्राहकों को बैंक के पास सोना जमा कराकर ओवरड्राफ्ट सुविधा हासिल करने की सुविधा देते हैं।
कुट्टी ने कहा, ‘जब ग्राहक को पैसे की जरूरत होती है तो उधार ले सकता है। उसे केवल उपयोग की गई राशि पर ही ब्याज चुकाना होता है। जब उसका वेतन या कारोबारी आय बढ़ती है तो वह इसके एक हिस्से का इस्तेमाल बकाये को कम करने में कर सकता है।’ कोई व्यक्ति कर्ज के बजाय ओवरड्राफ्ट का विकल्प चुनकर अपने कर्ज के बोझ में अहम कमी कर सकता है। कुट्टी ने कहा, ‘यह बहुत लचीली है। कुछ एनबीएफसी यह सुविधा मुहैया कराती है।’
सोना गंवाने का जोखिम
इन ऋणों का नकारात्मक पहलू यह है कि जो कर्जदार कर्ज नहीं चुका पाते हैं, वे अपना सोना गंवा देते हैं। अब बैंकों और एनबीएफसी दोनों को गिरवी रखे गए सोने की कीमत का केवल 75 फीसदी कर्ज देने की इजाजत है। स्वामीनाथन ने कहा, ‘कर्जदार डिफॉल्ट के मामले में सोने की 25 फीसदी अतिरिक्त कीमत भी गंवा देता है।’ इन ऋणों को लौटने की अधिकतम अवधि 24 महीने है, जो काफी कम है। यह अवधि पर्सनल लोन में 60 से 72 महीने तक होती है।
किसी भी ऋणदाता को चुनने से उसकी कई मानकों के आधार पर तुलना करनी चाहिए। इनमें अवधि, ब्याज दर, कीमत के मुकाबले ऋण, कर्ज लौटाने के विकल्प, प्रोसेसिंग फीस और पूर्व भुगतान या फोरक्लोजर शुल्क आदि शामिल हैं।
शेट्टी कहते हैं, ‘बैंक या एनबीएफसी जैसे किसी नियमित ऋणदाता से कर्ज लें। आम तौर पर बैंक कम ब्याज दर वसूलते हैं।’ ऐसा ऋण चुनें, जो आपकी जरूरतों के मुताबिक हो। अगर आपको एकमुश्त धनराशि की जरूरत है तो टर्म लोन लें। लेकिन अगर आपको किसी अवधि में पैसे की जरूरत है तो ओवरड्रॉफ्ट सुविधा बेहतर विकल्प होगी। ओवरड्राफ्ट विकल्प में ब्याज लागत कम होती है क्योंकि ब्याज उपयोग की जाने वाली राशि पर ही लगता है।