अगर आप भी बैंक में अपनी जमापूंजी को लेकर चिंतित रहते हैं, तो ये खबर आपके लिए है। सरकार जल्द ही बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा बढ़ाने पर बड़ा फैसला ले सकती है। अभी यह सीमा 5 लाख रुपये है, लेकिन इसे और बढ़ाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। ये खबर ऐसे समय आई है जब न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले के खुलासे के बाद सरकार बैंक ग्राहकों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सख्त हो गई है।
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नगराजू ने बताया कि इस पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, “जमा बीमा सीमा बढ़ाने का मुद्दा हमारे विचाराधीन है। सरकार जैसे ही मंजूरी देगी, इसे लागू कर दिया जाएगा।” इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थीं।
डिपॉजिट इंश्योरेंस: आपका पैसा कितना सुरक्षित?
अगर किसी बैंक का दिवाला निकल जाता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) आपके पैसे की सुरक्षा करता है। यह संस्था बैंकों से प्रीमियम लेकर ग्राहकों के डिपॉजिट को बीमा कवरेज देती है।
2020 में PMC बैंक घोटाले के बाद सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी थी।
अब इसे और बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, जिससे बैंक ग्राहकों को और सुरक्षा मिले।
“को-ऑपरेटिव बैंक सुरक्षित हैं” – सरकार की सफाई
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के बाद लोग को-ऑपरेटिव बैंकों को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इस पर आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा, “सिर्फ एक बैंक में घोटाले से पूरे सेक्टर पर शक नहीं करना चाहिए। को-ऑपरेटिव बैंक RBI की सख्त निगरानी में काम कर रहे हैं।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 1.30 लाख खाताधारकों में से 90% को DICGC बीमा योजना के तहत पूरा पैसा मिलेगा।
कैसे हुआ घोटाला?
जांच में पता चला कि बैंक की बहीखातों में 122 करोड़ रुपये दर्ज थे, लेकिन असल में ये पैसे कहीं थे ही नहीं!
बैंक के वित्त महाप्रबंधक हितेश मेहता ने ये रकम एक स्थानीय बिल्डर को सौंप दी थी। इस घोटाले की जांच अभी जारी है और RBI इसकी गहराई से छानबीन कर रहा है।