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कर्मचारी बीमा योजना से मृत्यु लाभ पर कर नहीं

Last Updated- December 12, 2022 | 3:17 AM IST

कोविड-19 महामारी से जो कर्मचारी प्रभावित हुए हैं उन्हें राहत देने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने हाल ही में एक अहम ऐलान किया है। ईपीएफओ ने इंप्लॉयीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (ईडीएलआई) योजना के तहत मिलने वाला अधिकतम लाभ 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया है। इस योजना के अंतर्गत मूल वेतन का 35 गुना तक मुआवजा मिलता है।
इस फैसले की अधिसूचना इसी 29 अप्रैल को सरकारी राजपत्र में जारी कर दी गई। योजना के तहत ईपीएफओ खाताधारक कर्मचारी की मौत होने पर कम से कम 2.5 लाख रुपये का मृत्यु लाभ (डेथ बेनिफिट) दिया जाएगा। पिछले साल 15 फरवरी को ही न्यूनतम सीमा 2.5 लाख रुपये की गई थी। योजना के तहत बोनस की भी व्यवस्था है, जो अधिकतम 1.75 लाख रुपये हो सकता है। टीमलीज सर्विसेस में बिजनेस हेड (कम्प्लायंस ऐंड पेरोल आउटसोर्सिंग) प्रशांत सिंह कहते हैं, ‘अगर कर्मचारी की मौत सेवाकाल में होती है तो ईडीएलआई योजना में शामिल होने वाले कर्मचारी के परिवार को बीमा की रकम मिलती है।’
खास बातें
कर्मचारी भविष्य निधि योजना के तहत आने वाली सभी कंपनियां और संगठन खुद ही ईडीएलआई योजना से जुड़ जाते हैं। जिस महीने कर्मचारी की मौत हुई है, उससे पहले के 12 महीनों में उसे लगातार सेवा में होना चाहिए। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन 12 महीनों में उसने कितनी नौकरियां या कंपनियां बदली हैं। अगर 12 महीने लगातार नौकरी की गई है तो उसे बीमा सुरक्षा का लाभ मिलेगा। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता कहते हैं, ‘यदि ईपीएफ ग्राहक की स्वाभाविक मौत होती है, किसी बीमारी अथवा दुर्घटना में होती है तो उसके द्वारा नामित व्यक्ति को 7 लाख रुपये तक की एकमुश्त रकम दी जाती है।’ इस योजना का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों को अपनी तरफ से कोई रकम नहीं देनी पड़ती है। सिंह बताते हैं, ‘नियोक्ताओं को अपने कर्मचारी के वेतन का 0.5 प्रतिशत हिस्सा जमा करना पड़ता है। लेकिन यह शर्त भी 15,000 रुपये तक वेतन वाले कर्मचारियों के लिए लागू है।’
कैसे तय होती है दावे की रकम
बीमा की रकम कर्मचारी के पिछले 12 महीने के मूल वेतन के आधार तय की जाती है। ईडीएलआई योजना में जिस अधिकतम रकम का दावा किया जा सकता है, उसमें कर्मचारी के औसत मूल वेतन की 35 गुना राशि और बोनस शामिल होता है। बोनस मृतक के ईपीएफ खाते में मौजूद औसत रकम के 50 फीसदी बराबर होता है मगर यह 1.75 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकता।
यहां वेतन का मतलब मूल वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) दोनों से है। मिसाल के तौर पर किसी कर्मचारी की मौत से पहले के 12 महीनों में यदि उसके मूल वेतन और डीए का जोड़ 15,000 रुपये रहा है। तो बीमा दावे में 15,000 रुपये का 35 गुना यानी 5.75 लाख रुपये दिए जाएंगे और साथ में 1.75 लाख रुपये बतौर बोनस भी दिए जाएंगे। इस तरह उसका परिवार अधिकतम 7 लाख रुपये का दावा कर सकता है।
कैसे करें दावा
पिछले साल से ई-नॉमिनेशन की व्यवस्था शुरू होने के बाद नामित व्यक्ति यानी नॉमिनी की जानकारी अद्यतन करने की जिम्मेदारी कर्मचारियों की हो गई है। मगर भविष्य निधि खाते में किसी को नॉमिनी नहीं बनाया गया है तो मृत कर्मचारी का कानूनी वारिस इस रकम का दावा कर सकता है। बीमा की रकम का दावा करने के लिए नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को ईपीएफ फॉर्म 5 आईएफ भरना होता है। कैरोस कैपिटल के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक ऋषद मनेकिया कहते हैं, ‘ईपीएफओ कार्यालय में दावा करने से पहले नॉमिनी या कानूनी वारिस को ईडीएलआई फॉर्म और आवश्यक दस्तावेजों का सत्यापन नियोक्ता से करह्वा लेना चाहिए।’ अगर नियोक्ता कागजात का सत्यापन नहीं करता है तो किसी रात्रपत्रित अधिकारी, मजिस्ट्रेट, स्थानीय नगर पालिका या नगर निगम बोर्ड के सदस्य, चेयरमैयन या सचिव, डाकपाल (पोस्टमास्टर) या उप-डाकपाल अथवा ईपीएफ की क्षेत्रीय समिति के सदस्य से इनका सत्यापन कराया जा सकता है।
गुप्ता कहते हैं, ‘क्षेत्रीय ईपीएफ आयुक्त के कार्यालय में सारे कागजात जमा होने के बाद 30 दिनों के भीतर दावे का निपटारा हो जाता है। यदि दावा इससे अधिक समय तक लटका तो दावा करने वाले को बीमा की रकम मिलने तक 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी दिया जाएगा।’ एक बात ध्यान रहे। ईपीएफ, ईपीएस और ईडीएलआई योजनाओं के तहत मिलने वाले सभी फायदे हासिल करने के लिए फॉर्म 20 (ईपीएफ से रकम निकालने के लिए) और फार्म 10सी/डी (कर्मचारी पेंशन योजना या ईपीएस) भी साथ में जमा कराना नहीं भूलें। ऐसा करने से प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
कराधान
नियोक्ता जो रकम जमा करता है, उसे कारोबारी खर्च की श्रेणी में रखा जाता है। एनए शाह एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल वोहरा कहते हैं, ‘कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारी या नॉमिनी को मृत्यु लाभ के रूप में मिली रकम पर किसी तरह का कर नहीं वसूला जाता।’

First Published - June 27, 2021 | 8:28 PM IST

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