भारत के केंद्रीय नीतिगत थिंक टैंक नीति आयोग और वित्त सेवा विभाग ने बैंकों से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कंपनियों को आसान स्थितियों में दीर्घावधि ऋण का विस्तार करने का अनुरोध किया है। यह कदम सरकार के इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) अर्थव्यवस्था की वृद्धि में बाधाओं को पहचान करने की कवायद के दौरान उठाया गया है। यह जानकारी अधिकारी ने दी है।
नीति आयोग में ई मोबिलिटी के कार्यक्रम निदेशक सुधेंदु जे. सिन्हा ने बताया, ‘वित्तीय सेवाओं के विभाग और नीति आयोग ने बैंकों से बातचीत की थी और उनसे ई मोबिलिटी में विशेष तौर पर ई-ट्रक और ई-बसों के लिए ऋण की अवधि का विस्तार करने का अनुरोध किया है। इस बार में प्राप्त जानकारी सकारात्मक है। हमें उम्मीद है कि इस बारे में आगे विस्तार होगा।’ऋण की अवधि का विस्तार होने से ई-बसों और ई-ट्रकों के मालिकों व संचालकों के लिए ईएमआई कम हो जाएगी।
इससे ई मोबिलिटी से सार्वजनिक सामान और यात्रियों की आवाजाही शीघ्र होगा। डीजल व पेट्रोल वाहनों से सर्वाधिक प्रदूषण सार्वजनिक वाहन और यात्रियों की आवाजाही के कारण होता है।
सिन्हा ने बताया, ‘वित्तीय संस्थानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यदि बैटरी पर वारंटी का विस्तार होता है तो ऋण की अवधि का विस्तार करना आसान हो सकता है।’ सरकार ईवी बदलाव की यात्रा में ई-ट्रकों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने वाली है। हालांकि नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार ई- ट्रक अमूमन गति नहीं पकड़ पाए हैं।