कंपनी मामलों के मंत्रालय ने व्यापक सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया के जरिये ऑडिट और अकाउंटिंग सहित विनियमनों की समीक्षा शुरू कर दी है। मंत्रालय के सचिव मनोज गोविल ने मंगलवार को एक संगोष्ठी में कहा कि भारत में स्वेदशी स्तर पर बड़ी ऑडिट फर्मों को विकसित करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट को भी शामिल किया गया है। इस संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने किया।
उन्होंने सीईओ और सीएफओ सहित कॉरपोरेट क्षेत्र से वित्तीय विवरण तैयार करने वाले के तौर पर व्यापार परिवेश में सार्वजनिक विश्वास का स्तर पर सुधार करने का आग्रह किया। गोविल ने कहा कि सरकार विकास का विजन तैयार करने के लिए कार्य कर रही है। सरकार अर्थव्यवस्था के 30 लाख करोड़ डॉलर के करीब पहुंचने पर विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोडमैप बना रही है।
गोविल ने कहा, ‘कॉरपोरेट क्षेत्र को इस विजन को लागू करने में अनिवार्य रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। यह भूमिका प्रमुख जिम्मेदारी और सार्वजनिक उत्तरदायित्व लाएगी। लिहाजा इस क्षेत्र को अपनी भूमिका वाजिब ढंग से निभाने के लिए सार्वजनिक भरोसे का स्तर बढ़ाने की जरूरत होगी।’
कंपनी मामलों के सचिव ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के हितों की रक्षा के लिए मजबूत विनियमन ढांचे और प्रारूप की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘निवेशकों के भरोसे को हासिल करने में वित्तीय रिपोर्टिंग की पारदर्शिता और उच्च स्तर के ऑडिट की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
इससे निवेशकों को सूचना पर आधारित फैसला लेने में मदद मिलती है और व्यापार के पारिस्थितिकीतंत्र में विश्वास व विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलता है।’ उन्होंने कहा कि मंत्रालय विनियमन ढांच को मजबूत और मानकों के पालन को बेहतर करने के प्रयास के प्रति दृढ़संकल्प है।
गोविल ने यह भी कहा कि एनएफआरए के विभिन्न आदेशों और निरीक्षण रिपोर्ट से साझेदारों को विभिन्न आयामों और उसके प्रभाव को समझने में मदद मिली है।
भरोसा बढ़ाने की जरूरत
एनएफआरए के चेयरमैन अजय भूषण पांडेय ने वित्तीय रिपोर्टिंग, पूंजी बाजार और विनियमन प्रणाली में भरोसा बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वित्त और पूंजी बाजार का केंद्र बिंदु स्वतंत्र विनियामक और उच्च गुणवत्ता की वित्तीय रिपोर्टिंग है।
एनएफआरए के सफर के बारे में पांडेय ने कहा कि प्राधिकरण ने ‘निरीक्षणात्मक रवैये’ की जगह लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है।
हालिया परिदृश्य इस तरह के समाधान की मांग कर रहे हैं। पांडेय ने ‘पारदर्शी वित्तीय रिपोर्टिंग और ऑडिट गुणवत्ता: कॉरपोरेट गवर्नेंस के स्तंभ’ विषय की दो दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, ‘यहां आज एकत्रित होने वाले लोगों पर व्यापक सार्वजनिक हित में निवेशकों और साझेदारों के हितों की रक्षा करने की बड़ी जिम्मेदारी है।
लिहाजा हम सभी आम लोगों के लिए निगरानी करने वाले (पब्लिक वॉचडॉग) की भूमिका निभाएंगे। यह भूमिका निभाने वालों में ऑडिट समितियां, स्वतंत्र निदेशक, कॉरपोरेट प्रबंधक और निवेश फोर, ऑडिटर और स्वतंत्र नियामक हो सकते हैं।