प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
आम लोगों तक बीमा की धीमी पहुंच के बीच वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कमी किए जाने से जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा की बिक्री में तेजी आने की संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ता सेग्मेंट कीमतों को लेकर बहुत संवेदनशील है और बीमा पर जीएसटी घटने के इसकी वहनीयता में बढ़ोतरी होगी।
आईआरडीएआई की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बीमा की पहुंच वित्त वर्ष 2024 में 3.7 प्रतिशत थी, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 4 प्रतिशत थी। स्वाथ्य बीमा में वृद्धि वहनीयता की वजह से प्रभावित हुई है, क्योंकि मेडिकल खर्च में वृद्धि हुई है।
बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी शून्य प्रतिशत होता है तो इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाना बीमा कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) में छूट पर भी निर्भर करेगा। मंत्रियों के एक समूह ने बीमा पर वर्तमान में लगाए जा रहे 18 प्रतिशत जीएसटी को पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है।
इस समय बीमाकर्ता पुनर्बीमा, कमीशन, टीपीए सर्विस व परिचालन संबंधी अन्य खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। अगर बीमा को जीएसटी से मुक्त किया जाता है तो बीमाकर्ताओं के लिए आईटीसी की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी और इसके कारण उनकी लागत बढ़ सकती है। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक आईटीसी का इस्तेमाल करके बीमाकर्ता प्रीमियम लागत का 8 से 10 प्रतिशत हासिल कर लेते हैं।
आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस के सीईओ मयंक बड़थ्वाल ने कहा, ‘अगर जीएसटी दर में कोई कमी की जाती है तो इससे ग्राहकों के लिए पॉलिसी की लागत कम होगी। इससे इसकी वहनीयता संबंधी चुनौती कम होगी। बहरहाल वहनीयता स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत से भी प्रभावित होती है, सिर्फ कर से नहीं। जीएसटी में कमी से पॉलिसियों का नवीकरण या नई खरीद बढ़ सकती है। एक बड़ी चिंता इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को लेकर है। अगर बीमा को जीएसटी से छूट दी जाती है या शून्य शुल्क लगता है तो संभवतः आईटसी की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी और इससे बीमाकर्ताओं की लागत बढ़ेगी। इसकी वजह से इसका बोझ प्रीमियम पर पड़ेगा। इसका अंतिम असर आईटीसी की उपलब्धता और इनपुट पर जीएसटी दरों के आकलन पर निर्भर है। कुल मिलाकर प्रीमियम पर पड़ने वाला असर इस पर निर्भर है कि जीएसटी ढांचे को किस तरह से बदला जाता है।’
कर में बदलाव के बाद स्वास्थ्य बीमा को ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के अलावा ग्राहकों की ओपीडी सेवाएं भी अधिक लोकप्रिय होने की संभावना है। बहरहाल आईटीसी मुख्य कारक है, जिससे जीएसटी में बदलाव के असर का निर्धारण होना है।
निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक और मुख्य व्यवसाय अधिकारी अंकुर खरबंदा ने कहा, ‘इस कर को कम करने या समाप्त करने से उपभोक्ताओं के लिए लागत कम हो जाएगी। इससे पहली बार के खरीदार, वरिष्ठ नागरिक और छोटे व कस्बाई शहरों में रहने वाले लोगों को लाभ होगा, जो कीमत को लेकर बहुत संवेदनशील होते हैं। इससे पुराने ग्राहक भी वापस आने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।’