तरुण चुघ, एमडी एवं सीईओ, बजाज लाइफ इंश्योरेंस
Bajaj Life Insurance के एमडी एवं सीईओ तरुण चुघ का कहना है कि कंपनी ने इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) वापस लिए जाने से संबंधित चुनौतियों का बखूबी सामना किया है। उन्होंने आतिरा वॉरियर और सुब्रत पांडा से आलियांज के संयुक्त उद्यम से बाहर निकलने सहित कई मुद्दों पर बात की। पेश हैं संपादित अंश:
पॉलिसी लौटाने के बाद बची रकम (सरेंडर वैल्यू) में संशोधन के बाद हमारे कारोबार ढांचे एक अहम बदलाव आया। हमने अपनी पॉलिसियों में बदलाव और उनमें विविधता बढ़ाकर उन्हें बदली व्यवस्था के अनुकूल बनाया। हमने कमीशन कम करने के साथ इससे जुड़े कुछ अन्य बदलाव भी किए। इस तिमाही में हमारे मार्जिन में काफी वृद्धि हुई है और नए कारोबार से हमारा मुनाफा 47 प्रतिशत बढ़कर 512 करोड़ रुपये हो गया। सितंबर तक नई नई पॉलिसियों से हासिल होने वाला प्रीमियम भी 31 प्रतिशत बढ़ गया है। हमें मार्जिन में तेजी दिख रही है।
पिछले साल ही हमने लागत चुस्त-दुरुस्त बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हम लागत काफी हद तक घटाने में सक्षम रहे हैं। जीएसटी दरों में बदलाव के बाद पॉलिसीधारकों एवं नए ग्राहकों में उत्साह बढ़ा है। हमें इसका फायदा जरूर मिलना चाहिए। आईटीसी से जुड़े असर कम करने के लिए हम अपने वितरकों के साथ बातचीत कर रहे हैं।
हमारा कारोबार पहले की तरह ही चल रहा है। पहले भी बजाज कंपनी चला रही थी जबकि आलियांज की उपस्थिति बोर्ड में थी और वे इसके कामकाज में हमारी मदद कर रहे थे। कुल मिलाकर हमारे लिए कुछ नहीं बदलता है।
हमें ऐसी बातें परेशान नहीं करती हैं। हम अपने कारोबार को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। हम पिछले सात वर्षों में सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली जीवन बीमा कंपनी रहे हैं। सीएजीआर पर हमारे कारोबार की वृद्धि दर 29 प्रतिशत से अधिक रही है। हम अपने कारोबार के विभिन्न हिस्सों को आगे बढ़ने में सक्षम हुए हैं।
हां, कुछ हद तक तो ऐसा जरूर हुआ है। जीएसटी दरों में संशोधन के बाद सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह अपने आप में ग्राहकों के लिए पर्याप्त होगा। इसके लिए अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना, उन्हें ग्राहकों के पास भेजना और उन्हें 18 प्रतिशत की कमी से होने वाले फायदे के बारे में भी समझाना होगा।
अगर आप 5-10 वर्षों के प्रदर्शन का आकलन करें तो हमारे दीर्घकालिक यूलिप म्युचुअल फंडों के समान या उससे बेहतर प्रदर्शन करती हैं क्योंकि इनमें लंबी अवधि के लिए निवेश होता है। हमें केवल समान योजनाओं की आपस में तुलना करनी चाहिए यानी म्युचुअल फंड के साथ यूलिप या फिर फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ निश्चित रिटर्न देने वाली योजना की तुलना होनी चाहिए।