प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अगले साल अप्रैल से नया इनकम टैक्स कानून (Income Tax Act 2025) लागू होने वाला है। इसके साथ ही सरकार चैरिटेबल ट्रस्ट और संस्थाओं के लिए जो फॉर्म भरने पड़ते हैं, उन्हें बहुत सरल बनाने की तैयारी कर रही है।
प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (एग्जेम्प्शन) देबज्योति दास ने बताया कि नया कानून तो पहले ही छूट वाले सारे प्रावधानों को साफ-सुथरा और समझने लायक तरीके से फिर से जोड़ चुका है। अब बारी है उन फॉर्म्स और प्रोसीजर को आसान बनाने की, जो रोज इस्तेमाल होते हैं।
देबज्योति दास कहते हैं कि अभी जो ऑडिट रिपोर्ट फॉर्म ट्रस्ट भरते हैं, वो बेहद जटिल हैं। न तो ये महज औपचारिक कागज रह गए हैं और न ही इन्हें आसानी से ऑनलाइन ठीक-ठाक फाइल किया जा सकता है, जैसा बिजनेस वालों का ऑडिट रिपोर्ट होता है।
इसका नतीजा यह होता है कि फाइलिंग में देरी, भारी-भरकम टैक्स की डिमांड, फिर कंडोनेशन की अर्जियां और महीनों तक चक्कर लगाना पड़ता है। इससे टैक्सपेयर्स , सीए से लेकर डिपार्टमेंट के अफसर भी परेशान रहते हैं।
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उन्होंने आगे कहा, “हम कोशिश कर रहे हैं कि फॉर्म इतने आसान हो जाएं कि अगर कोई थोड़ी देर से फाइल करे भी तो साफ दिखे कि गलती जानबूझकर नहीं हुई। फिर फैसला कुछ दिनों में हो जाए, महीनों नहीं लगें।”
दास ने ये भी जोड़ा कि सरलीकरण सिर्फ बड़े शहरों के लिए नहीं, पूरे देश के लिए जरूरी है। गांव-कस्बों में भी लोगों को बिना ज्यादा परेशानी के नियम फॉलो करने चाहिए। अफसर पूरी तरह इसके लिए कमिटेड हैं।
उन्होंने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) की तारीफ करते हुए कहा कि कई कई कंपनियां इसपर 2 फीसदी से कहीं ज्यादा खर्च करती हैं। इस क्षेत्र में सचमुच अच्छा काम हो रहा है। लेकिन साथ ही उन्होंने चेताया भी कि बाहर की संस्थाओं को पैसा देने से पहले पूरी जांच-पड़ताल कर लें।
दास ने कहा कि कुछ कंपनियां CSR के पैसे से अपने ही कर्मचारियों की ट्रेनिंग करवा लेती हैं, जो बिल्कुल गलत है। उन्होंने इसे CSR पर ‘काला धब्बा’ बताया।
दास कहते हैं, “चैरिटेबल काम एक पवित्र काम है, इसलिए इसमें भरोसा टूटना नहीं चाहिए। देश की जनता और सरकार को पूरा यकीन होना चाहिए कि पैसा सही जगह जा रहा है।”