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भारत-कनाडा में व्यापार वार्ता: करीब दो साल के गतिरोध के बाद बातचीत शुरू करने पर दोनों देश सहमत

India-Canada Trade: जून 2025 के जी7 शिखर सम्मेलन में भारत-कनाडा के बीच दुर्लभ खनिज के मामले में सहयोग को गति मिली।

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श्रेया नंदी   
साकेत कुमार   
Last Updated- November 25, 2025 | 9:21 AM IST

द्विपक्षीय संबंधों में करीब दो साल की उथल-पुथल के बाद भारत और कनाडा ने व्यापक ढांचे को अंतिम रूप दे दिया है और व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर नए सिरे से बातचीत शुरू करने के लिए सहमति जताई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह बात कही।

गोयल ने इंडो-कैनेडियन बिजनेस चैंबर के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने विचार के लिए रखे जाने वाले विषयों को अंतिम रूप दे दिया है और मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया है। हमने दोनों देशों में व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए उसे तेजी से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि यह दोनों देशों के बीच घनिष्ठ मित्रता एवं साझेदारी को दर्शा सके।’

मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की हालिया मुलाकातों से कनाडा-भारत संबंधों के भविष्य के लिए स्पष्ट दिशा मिलती है। इसमें जी20 शिखर सम्मेलन में हुई मुलाकात भी शामिल है। वे एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के लिए बातचीत शुरू करने और 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को दोगुना करने पर सहमत हुए हैं।’ उन्होंने कहा कि दोनों देश स्वाभाविक सहयोगी हैं और एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं। इसलिए कारोबारियों और निवेशकों के लिए जबरदस्त अवसर पैदा होंगे।

मार्च 2022 में भारत और कनाडा ने व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने और नए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से एक व्यापक व्यापार समझौते पर औपचारिक बातचीत फिर से शुरू की थी। साथ ही यह भी तय किया गया कि एक प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौता (ईपीटीए) सीईपीए की दिशा में उठाया गया कदम होगा।

मगर खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की जून 2023 में हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद के बाद व्यापार वार्ता रुक गई थी। उस समय कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इसमें भारत की संभावित भूमिका का आरोप लगाया था जिसे भारत ने स्पष्ट तौर पर खारिज किया था। उस समय बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी थी और दोनों पक्षों को 2023 के आखिर तक समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद थी।

दुर्लभ खनिजों पर नजर

गोयल ने कहा कि भारत को दुर्लभ खनिज, खनिज प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण में कनाडा के साथ सहयोग में काफी गुंजाइश दिखती है। भारत आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, अगली पीढ़ी के डेटा सेंटर जैसी उभरती प्रौद्योगिकी में भी जबरदस्त अवसर प्रदान करता है।

मंत्री ने कहा, ‘हम कनाडा से बहुत कुछ सीख सकते हैं और कनाडा को बहुत कुछ दे सकते हैं। दुर्लभ खनिज और उसके लिए प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में काफी संभावना है। परमाणु ऊर्जा में भी अच्छी संभावना है, विशेष रूप से यूरेनियम आपूर्ति पर कनाडा के साथ हमारे जुड़ाव के साथ।’ उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाई जा सकती है। जून 2025 के जी7 शिखर सम्मेलन में भारत-कनाडा के बीच दुर्लभ खनिज के मामले में सहयोग को गति मिली।

जी7 शिखर सम्मेलन में मोदी और कार्नी ने भारत को कनाडा के क्रिटिकल मिनरल्स एक्शन प्लान का समर्थन के लिए मुलाकात की थी। इसमे 2025 में उच्चस्तरीय बैठकों से और बल मिला। इसमें कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद की दिल्ली यात्रा और खनिज भंडार, खनन विशेषज्ञता एवं यूरेनियम आपूर्ति पर चर्चा शामिल थी। इस बीच कनाडा ने 2022 में अपनी दुर्लभ खनिज रणनीति का खुलासा करने के बाद अपने दुर्लभ खनिज क्षेत्र के लिए लगभग 4 अरब कनाडाई डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें विदेशी भागीदारों के साथ खनन, प्रसंस्करण और प्रसंस्करण क्षमता का विस्तार करने के लिए 2 अरब कनाडाई डॉलर का एक नया सॉवरिन फंड शामिल है। यह भारत की विस्तारित विदेशी सोर्सिंग रणनीति के अनुरूप है।

व्यापार

भारत के लिए कनाडा रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। मगर इसके बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार का दायरा सीमित है। भारत ने चालू वित्त वर्ष (अप्रैल से सितंबर) के पहले छह महीनों के दौरान 2.26 अरब डॉलर का वस्तु निर्यात किया जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 12.9 फीसदी अधिक है। भारत से निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में दवा, परिधान, हीरे, रसायन, रत्न एवं आभूषण, समुद्री खाद्य, इंजीनियरिंग वस्तुएं, चावल आदि शामिल हैं। मगर निर्यात की हिस्सेदारी महज 1 फीसदी रही।

दूसरी ओर अप्रैल से सितंबर की अवधि में कनाडा से आयात में 38.4 फीसदी की गिरावट आई और वह 1.48 अरब डॉलर रह गया। बाकी दुनिया के मुकाबले कनाडा पर भारत की आयात निर्भरता महज 0.4 फीसदी है। आयात में मुख्य तौर पर दाल, कच्चा तेल, उर्वरक, विमान एवं विमानन उपकरण, हीरा, बिटुमिनस कोयला जैसी वस्तुएं शामिल हैं।

First Published : November 25, 2025 | 9:21 AM IST