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  वित्त-बीमा  आय में बढ़त से तय होगी शेयर बाजार की चाल
वित्त-बीमा

आय में बढ़त से तय होगी शेयर बाजार की चाल

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —July 25, 2022 1:07 AM IST0
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पिछले कुछ महीनों से वैश्विक वित्तीय बाजारों के लिए अक्सर एकतरफा रास्ता रहा है, क्योंकि केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए दरें बढ़ाने पर जोर दिया है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी रजत राजग​ढिया ने पुनीत वाधवा के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि वैश्विक निवेशकों ने मध्यावधि से दीर्घावधि के लिहाज से भारत पर सकारात्मक रुख अपनाया है। जब अस्थिरता कम हो जाएगी, उन्हें
एफआईआई प्रवाह सकारात्मक होने की संभावना हैं। पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

क्या एफआईआई बिकवाली और जिंस कीमतों में बिक्री के बाजार पर पड़ने वाला दबाव अब समाप्त हो गया है?
भारतीय बाजारों में साल में बनाए गए ऊंचे स्तरों से भारी गिरावट दर्ज की जा चुकी है। निफ्टी अपने ऊंचे स्तरों से करीब 20 प्रतिशत नीचे आया है। कई कारकों से इस गिरावट को बढ़ावा मिला है, जिनमें अमेरिकी बाजारों में कमजोरी, जिंस कीमतों में तेजी और दर वृद्धि की चिंताएं मुख्य रूप से शामिल हैं। इन सबकी वजह से एफआईआई द्वारा भारी बिकवाली को बढ़ावा मिला। इस गिरावट के बाद, मूल्यांकन अधिक आकर्षक हो गए हैं और अब दीर्घावधि औसत पर कारोबार उचित दिख रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें लग रहा है कि मुद्रास्फीति का चरम स्तर भी बीत चुका है। जैसे ही एफआईआई बिकवाली कम होगी बाजारों को बड़ी राहत मिलेगी। आय वृद्धि से बाजार सुधार की रफ्तार तय होगी।

क्या आपको लगता है कि एफआईआई ने वास्तव में भारत पर ‘ओवरसोल्ड’ यानी ज्यादा बिकवाली का अपना नजरिया अपना रखा है?
एफआईआई ने 2022 में अब तक भारतीय इक्विटी में करीब 30 अरब डॉलर की बिकवाली की है। इसमें से ज्यादातर वैश्विक बिकवाली और उभरते बाजारों (ईएम) के फंडों से बिकवाली द्वारा केंद्रित थी। इसके अलावा भारत का उसके प्रदर्शन की वजह से कई पोर्टफोलियो में भी भारांक बढ़ा है। वैश्विक निवेशकों के साथ हमारी चर्चा से संकेत मिलता है कि उनका मध्यावधि-दीर्घावधि नजरिये से भारत पर सकारात्मक रुख है। जब बाजारों में उतार-चढ़ाव घटेगा, एफआईआई प्रवाह सकारात्मक हो जाएगा। भारत में निवेश के लिए एफआईआई के पसंदीदा क्षेत्र वित्त, प्रौद्योगिकी और खपत रहे हैं।

क्या आपके संस्थागत ग्राहक गिरावट को देखते हुए और ज्यादा निवेश करने को इच्छुक हैं, जैसा कि हमने पिछले कुछ महीनों के दौरान बाजारों में देखा है?
हमने देखा है कि घरेलू निवेशक पिछले कुछ वर्षों से बाजारों के लिहाज से काफी मददगार बने हुए हैं। एफआईआई की बड़ी बिकवाली के पिछले 6 महीनों के दौरान भी, घरेलू निवेशक नियमित खरीदार बने रहे और इस वजह से विदेशी निवेशकों की बिकवाली का प्रभाव कुछ कम देखा गया। हमने इक्विटी में रिटे बचत का प्रवाह लगातार दर्ज किया है और आगामी वर्षों में इसमें इजाफा हो सकता है।

क्या आप यह कहना चाहेंगे कि खुदरा निवेशकों के लिए शेयरों का खास चयन अगले 6-12 महीनों के दौरान उनके कुल पोर्टफोलियो प्रतिफल के लिए जरूरी बना रहेगा?
छोटे निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भी एसआईपी को लेकर अनुशासित बने रहना होगा। पिछले दो-तीन साल के दौरान, भारतीय इक्विटी में रिटेल आवंटन बढ़ा है, लेकिन यह अभी भी कुछ कम है। कुछ खास शेयरों के अपने नफा-नुकसान होंगे, लेकिन पोर्टफोलियो केंद्रित रणनीति से बेहतर रिस्क-रिवार्ड परिणाम हासिल करने में मदद मिलेगी।

ताजा बाजार गिरावट के बीच आपकी रणनीति क्या रही है?
हमने निवेशकों को अपना इक्विटी निवेश बढ़ाने की सलाह दी है, क्योंकि मूल्यांकन अच्छे हैं और वृद्धि परिदृश्य भी बढि़या है। दीर्घावधि के दौरान इक्विटी का प्रदर्शन कई अन्य परिसंपत्ति वर्गों से अच्छा रह सकता है। हमने कई घरेलू-केंद्रित क्षेत्रों में सुधार के शुरुआती संकेत देखे हैं, चाहे यह ऋण वृद्धि हो, वाहन बिक्री या रियल एस्टेट से संबंधित पूछताछ हो। मौजूदा समय में हमारे प्रमुख क्षेत्र हैं – वित्त (आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई), वाहन (एमऐंडएम, मारुति), उपभोक्ता (आईटीसी, गोदरेज कंज्यूमर), प्रौद्योगिकी (इन्फोसिस, एचसीएल)।

उधारी महंगी हो रही है। इसका मांग और कॉरपोरेट आय पर कितना असर पड़ेगा?
कम समय में,  केंद्रीय बैंकों ने सख्त रुख अपनाया। हरेक बैंक मुद्रास्फीति नियंत्रित करने के लिए दर वृद्धि पर जोर दे रहा है, इसलिए हम जल्द ही ऊंची दरें देख सकते हैं। दर वृद्धि बड़े पैमाने पर हो हो गई है और 2022 की दूसरी छमाही  में मुद्रास्फीति में नरमी आ सकती है। मांग और कॉरपोरेट आय पर ताजा वृद्धि का प्रभाव भारतीय संदर्भ में सीमित होगा। भारतीय उद्योग जगत की बैलेंस शीट का कर्ज स्तर कम है।

आयमोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेजरजत राजग​ढियाशेयर बाजार
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