वित्त मंत्रालय ने हाल ही में सामने आई पेंशन योजना (NPS) में बदलाव की खबरों का खंडन किया है। मंत्रालय ने इन खबरों को फेक बताते हुए कहा है कि मंत्रालय ने अभी तक इसे लेकर कोई फैसला नहीं किया है। मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की समीक्षा के लिए बनाई गई कमेटी अभी किसी निर्णय तक नहीं पहुंची है।
This is in reference to a news report carried in various news papers, purporting to give details of certain specific percentage of pension being proposed by the Government for the employees under National Pension System #NPS. This news report is false.
The Committee, set up…
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 22, 2023
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते अप्रैल माह में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की समीक्षा के लिए वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी, जिसका गठन पेंशन सिस्टम के रिव्यू के लिए किया गया था।
केंद्र सरकार ने 2004 से ओपीएस को हटाकर एनपीएस को लागू किया था। इस पेंशन फंड में एम्प्लॉई अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी योगदान देते हैं और सरकार 14 फीसदी योगदान देती है। कर्मचारियों का अंतिम भुगतान बाजार के रिटर्न पर निर्भर करता है। फंड का ज्यादातर निवेश गवर्नेंमेंट डेट में किया जाता है।
वहीं, ओपीएस के तहत कर्मचारी को अंतिम सैलरी का 50 फीसदी के निश्चित पेंशन की गारंटी होती है।
बता दें कि कर्मचारी के सेवा काल के दौरान उन्हें कुछ भी योगदान करने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन इस प्रणाली के कारण सरकारी बजट पर काफी बोझ आ जाता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त मंत्रालय ऐसी योजना लाना चाहती है जिससे कि पेंशन का भार सरकार पर कम से कम पड़े। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार जो पेंशन योजना लाएगी, उसे महंगाई भत्ते से नहीं जोड़ा जाएगा।
अगर नई पेंशन सिस्टम को देखा जाए तो कर्मचारियों को वर्तमान रिटर्न में उनकी सैलरी का के 38 फीसदी पेंशन के रूप में मिल रहा है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार 40 से 45 फीसदी तक न्यूनतम पेंशन की गारंटी दे सकती है। लेकिन सरकार द्वारा बयान जारी होने के बाद इन सभी अटलों पर रोक लग गई।