भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने कहा कि नवाचार को प्रभावित किए बिना नियामक महत्त्वपूर्ण कमियों को दूर करने और नियामकीय दोहराव को कम करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस- कॉर्पोरेट गवर्नेंस समिट में बोलते हुए स्वामीनाथन ने कहा, ‘विरोधाभासी नियमों, अनुपालन में दोहराव और बगैर तालमेल वाले प्रवर्तन से समस्या पैदा हो सकती है और इससे बचा जा सकता है। वहीं आंतरिक खामियों की वजह से नई गतिविधियां, नई तकनीकें और नए कारोबारी मॉडल विफल हो सकते हैं। हम इस बात से सहमत हैं कि नियामकीय दोहराव और कमियां दोनों मौजूद हैं ।’
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उन्होंने कहा, ‘नियामकों के सामने साथ मिलकर काम करने, नुकसानदायक दोहराव कम करने और महत्त्वपूर्ण खामियों को खत्म करने का काम है। साथ ही यह भी ध्यान रखना है कि नवाचार प्रभावित न हो।’उन्होंने नियामक कमियों को कम करने के नियमों का भी उल्लेख किया, जिसमें नियामकों द्वारा इकाई और गतिविधियों पर आधारित विनियमन का संतुलन शामिल है। उन्होंने कहा, ‘भले ही प्रोवाइडर पारंपरिक व्यक्ति न हो। यदि दो गतिविधियां समान जोखिम पैदा करती हैं, तो उन पर प्रोवाइडर के लेबल की परवाह किए बिना, समान नियम लागू होने चाहिए।’ दूसरा सिद्धांत आनुपातिकता है, जिसके अनुसार नियामकों को जोखिम और जटिलता को देखते हुए आवश्यकताओं को बढ़ाना चाहिए और तीसरा, नियामकों को बाजार की परिपक्वता के अनुरूप परिणाम पर आधारित विनियमन की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘परिणाम पर आधारित नियम बेहतरीन काम करते हैं, जब समाधान और प्रवर्तन मजबूत हो और बाजार परिपक्व हो। ऐसे में नियामकीय खामियों को दूर करना व और दोहराव दूर करना निरंतर सुधार वाली प्रक्रिया है। इसके लिए निरंतर चिंतन, अनुकूलन और यथास्थिति को चुनौती देने के साहस की आवश्यकता होती है।’