बैंकों ने भले ही सावधि जमाओं पर ज्यादा ब्याज की पेशकश शुरू कर दी हो, लेकिन शेयर बाजार के निवेशक अल्पावधि में अपनी निवेश योग्य अतिरिक्त रकम के निवेश के लिए और ज्यादा सुरक्षित विकल्प मसलन सावधि जमाओं की ओर शायद ही बढ़ेंगे। यह कहना है विश्लेषकों का।
महंगाई पर लगाम कसने के लिए आरबीआई की तरफ से हाल में मुख्य ब्याज दरों में इजाफे के बाद बैंकों ने एफडी की दरों में इजाफा किया है। रीपो दर (जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है) अभी 5.40 फीसदी है। केंद्रीय बैंक की तरफ से हालिया ब्याज बढ़ोतरी के बाद रीपो दर कोविड पूर्व 5.15 फीसदी के स्तर से थोड़ा ऊपर है।
आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, बैंकों की जमा दर बढ़ोतरी अभी भी कम है। ये दरें 7.5 फीसदी से ऊपर जाएगी तब कुछ निवेशक इक्विटी से ऐसी जमाओं का रुख कर सकते हैं। 7.5 फीसदी पर सुरक्षित प्रतिभूतियों मसलन एफडी पर रिटर्न अपेक्षाकृत जोखिम मुक्त बन जाता है। ऐसे में इक्विटी में मुनाफावसूली करने वाले इनमें निवेश पर विचार कर सकते हैं।
कई राष्ट्रीयकृत बैंकों ने सावधि जमा दरों पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया है। देश की सबसे बड़ी ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक ने जमा दरें बढ़ाई है। बैंक विशेष ऑफर के तहत 75 दिवसीय उत्सव डिपॉजिट योजना लेकर आई है, जिसमें यह जमा धन पर 1,000 दिन के लिए 6.1 फीसदी मिलेगा और वरिष्ठ नागरिकों को इसके अलावा 0.5 फीसदी अतिरिक्त ब्याज दिया जाएगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा भी बड़ौदा तिरंगा जमा योजना के साथ दो तरह के निवेश योजना लेकर आई है। इसमें पहली योजना में 444 दिन के लिए जमा धन पर 5.75 फीसदी का ब्याज मिलेगा और दूसरी योजना के तहत 555 दिन के लिए जमा धन पर 6 फीसदी का ब्याज मिलेगा और उसमें भी वरिष्ठ नागरिकों को इस समय के दौरान 0.5 फीसदी का अतिरिक्त ब्याज दिया जाएगा। हाल में, केनरा बैंक भी ऐसे ही योजना लेकर आई है।
पिछले कुछ वर्षों में अधिक मात्रा में विदेशी और घरेलू निवेशों के कारण भारी तरलता देखी गई जिसके कारण शेयर बाजार से रिटर्न ज्यादा देखने कौ मिल रहा है।
कैलेंडर वर्ष के आधार पर एसऐंडपी बीएसई संसेक्स और निफ्टी 50 इंडेक्स में भी 2019 से 2021 के बीच में 14-22 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है। इसकी तुलना में, राष्ट्रीयकृत बैंक (एसबीआई) का एफडी में एक साल का रिटर्न 2019 में 4.9 फीसदी था जो 2021 में बढ़कर 5.3 फीसदी पहुंचा है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी जी. चोकालिंगम के अनुसार, इक्विटी से सावधि जमा जैसे निवेश के ठिकाने के आवंटन में बदलाव , यहां तक कि बैंकों द्वारा ऑफर की गई मौजूदा ब्याज दर पर भी, खुदरा निवेशकों के लिए पर्याप्त रूप से लुभाने वाली नहीं है।
उनका कहना है कि बड़ी संख्या में भारतीय खुदरा निवेशक बड़ा जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं और इन निवेशों से उन्हें ज्यादा रिटर्न की अपेक्षाएं भी रहती है।