भारत में इंजीनियरिंग बीमा प्रीमियम 4 साल में दोगुना हो गया है। इस अवधि के दौरान बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ने के कारण यह तेजी आई है। वित्त वर्ष 2024 में अप्रैल-फरवरी (वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीने में) के दौरान इंजीनियरिंग सेग्मेंट में सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम बढ़कर 4,848.06 करोड़ रुपये (पूरे साल का आंकड़ा करीब 5,300 करोड़ रुपये) हो गया। यह प्रीमियम वित्त वर्ष 2020 के दौरान 2,634.90 करोड़ रुपये था।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 11 महीनों के दौरान पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 3,705.35 करोड़ रुपये की तुलना में 30.84 प्रतिशत बढ़ा है।
फर्स्ट इंश्योरेंस ब्रोकर्स में रीजनल डायरेक्टर और इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन आफ इंडिया में विशेषज्ञ हरि राधाकृष्णन ने कहा, ‘जनरल इंश्योरेंस उद्योग में इंजीनियरिंग सबसे तेजी से बढ़ता बिजनेस सेग्मेंट है। बुनियादी ढांचा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश हो रहा है इसकी वजह से कंस्ट्रक्शन इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ा है। इसकी वजह से इस सेग्मेंट में तेज वृद्धि हुई है।’
सरकार कुल आवंटन में पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी बढ़ा रही है। अंतरिम बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में 11.1 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है, जो वित्त वर्ष 2020 में 3.4 लाख करोड़ रुपये था।
इंजीनियरिंग बीमा से चल रही निर्माण परियोजनाओं, इंस्टालेशन परियोजनाओं, मशीनों व परियोजना में लगे उपकरणों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
बीमा उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले कुछ साल में भारत की आर्थिक वृद्धि को निर्माण क्षेत्र से समर्थन मिला है और सड़क, मेट्रो, अक्षय ऊर्जा, भारी उद्योगों, ग्रामीण विद्युतीकरण, रेलवे, हरित हाइड्रोजन और सेमीकंडक्टर आदि में निवेश बढ़ा है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और भारत का उद्योग जगत नई और पुरानी परियोजनाओं में बड़े निवेश कर रहा है।
निर्माण गतिविधियों में इंजीनियरिंग बीमा में सड़कों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, उसके बाद मेट्रो और अक्षय ऊर्जा का स्थान है। भारत में बुनियादी ढांचा गतिविधियां गति पकड़ रही हैं। ऐसे में इंजीनियरिंग बीमा पॉलिसी की संख्या भी दोगुनी हो गई है।
इसके अलावा हानि का अनुपात उद्योग के पक्ष में है, इसके बावजूद पिछले 4 साल के दौरान बड़ी जटिल इंजीनियरिंग परियोजनाओं के बीमा प्रीमियम की दर में 10 से 15 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जिनके पुनर्बीमा समर्थन की जरूरत होती है।
बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी में मुख्य तकनीकी अधिकारी टीए रामलिंगम ने कहा , ‘प्राकृतिक आपदा की बीमा की दरें बढ़ी हैं, क्योंकि इसमें बीमा उद्योग को भारी नुकसान हुआ है, जिससे इंजीनियरिंग क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है। दरें मामूली बढ़ी हैं, जो 10 से 15 प्रतिशत के बीच हैं।’