Electoral Bonds: देश की कुछ गिनी चुनी बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों ने ही अपनी सालाना रिपोर्ट में राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड या अन्य तरह से दान देने की घोषणा की है। कुल मिलाकर बीएसई सेंसेक्स सूचकांक में शामिल 30 कंपनियों में से केवल 8 ने ही पिछले पांच वित्त वर्ष में कम से कम एक बार अपनी सालाना रिपोर्ट में राजनीतिक दलों को चंदा देने की जानकारी दी है।
कंपनियों की सालाना रिपोर्ट के अनुसार सूचकांक में शामिल इन 8 कंपनियों ने पिछले 5 वर्षों के दौरान राजनीतिक दलों को कुल मिलकार 628 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। इनमें दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने सबसे ज्यादा 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। उसके बाद टाटा स्टील ने 175 करोड़ रुपये और लार्सन ऐंड टुब्रो ने 85 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।
हालांकि भारती एयरटेल सूचकांक में शामिल एकमात्र कंपनी है जो पिछले 5 वित्त वर्ष के दौरान हर साल राजनीतिक चंदा दिया है जिसका पता कंपनी सालाना रिपोर्ट से चलता है। सालाना रिपोर्ट के मुताबिक एयरटेल और उसकी सहायक कंपनियों ने वित्त वर्ष 2019 से 2023 के बीच राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड या चुनावी न्यासों के जरिये 241 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।
वित्त वर्ष 2022-23 की सालाना रिपोर्ट में भारती एयरटेल ने कहा है, ‘वित्त वर्ष 2022 तथा 2023 में कानून की धारा 182 के तहत राजनीतिक चंदे के साथ ही अन्य व्यय मद में क्रमश: 102.5 करोड़ रुपये और 30 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।’ भारती एयरटेल ने वित्त वर्ष 2022 में राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा 102.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया था।
इसकी तुलना में हमारी सूची में शामिल सूचकांक की अन्य कंपनियों ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कभी-कभार ही चुनावी बॉन्डों या राजनीतिक दलों को चंदा देने का खुलासा किया है।
उदाहरण के लिए लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) तथा टेक महिंद्रा ने पिछले पांच साल में दो बार अपनी सालाना रिपोर्टों में राजनीतिक दलों को चंदा देने की बात कही है। एलऐंडटी ने वित्त वर्ष 2019 में 35 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 50 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे। इसी तरह महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने वित्त वर्ष 2019 में नए डेमेाक्रेटिक इलेक्ट्रोरल ट्रस्ट में 1.02 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 23 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। बाद के वर्षों में इन दोनों कंपनियों द्वारा चुनावी बॉन्ड खरीदने या अन्य तरीकों से राजनीतिक दलों को चंदा देने का उल्लेख नहीं किया गया है।
एलऐंडटी ने वित्त वर्ष 2020 की अपनी सालाना रिपोर्ट में जिक्र किया था, ‘कंपनी ने 50 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड खरीदा है और उसे राजनीतिक दलों को दिया था।’ दिलचस्प है कि चुनाव आयोग के पिछले 5 साल के डेटाबेस में चुनावी बॉन्ड के कॉर्पोरेट खरीदारों में एलऐंडटी का नाम नहीं है।
टाटा स्टील ने वित्त वर्ष 2019 की सालाना रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि उसने चुनावी न्यास को 175 करोड़ रुपये का दान दिया है। बाद के वर्षों में कंपनी द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने का कोई उल्लेख नहीं है। चुनाव आयोग के डेटाबेस में चुनावी बॉन्ड के खरीदारों में टाटा स्टील का भी नाम नहीं है।
सूचकांक की अन्य कंपनियों ने बीते 5 वित्त वर्ष में केवल एक बार राजनीति दलों को चंदा देने का खुलासा किया है। अल्ट्राटेक सीमेंट ने वित्त वर्ष 2019 में 23 करोड़ रुपये, बजाज फाइनैंस ने वित्त वर्ष 2020 में 20 करोड़ रुपये, मारुति सुजूकी ने वित्त वर्ष 2023 में 20 करोड़ रुपये और टेक महिंद्रा ने वित्त वर्ष 2020 में 15 करोड़ रुपये देने की घोषणा अपनी सालाना रिपोर्ट में की है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सन फार्मास्युटिकल्स ने वित्त वर्ष 2019 में 31.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की खरीद की थी लेकिन पिछले 5 साल की कंपनी की सालाना रिपोर्ट में इसका या अन्य तरीके से चंदा देने का कोई उल्लेख नहीं है। इसे केवल दान मद में खर्च के तौर पर बताया गया है। दूसरी तरफ एनटीपीसी, एशियन पेंट्स और टेक महिंद्रा ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इसका स्पष्ट उल्लेख किया है कि वे किसी राजनीतिक दल को कोई चंदा नहीं देते हैं।