लैंको इनफ्राटेक, जो कि ऊर्जा, निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्र में जोरदार कदम उठा रही है, ऐसे मुकाम पर पहुंच चुकी है जहां पर अब वह लाभ अर्जित करना शुरू कर सकती है। कंपनी ने आशा की थी कि 518 मेगावाट की मौजूदा क्षमता के मुकाबले 2013 तक ऊर्जा उत्पादन क्षमता 21 गुना बढ़कर 11,000 मेगावाट हो जाएगी। इनमें से 1,020 मेगावाट के 2008-09 के पहले 3-9 महीनों में काम करना शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके परे, 6,175 मेगावाट की ऊर्जा परियोजनाओं की बाबत, जो कि विकास के विभिन्न चरणों में हैं, निरंतर प्रगति हासिल की गयी है। इसके अलावा, रियल एस्टेट की उसकी जारी परियोजनाओं (170 एकड़ में फैली हुई) से अच्छी-खासी आय प्राप्त होगी। निर्माण व्यवसाय के लिए एकत्रित अतिरिक्त लाभ, जो कि मुख्यतया ऊर्जा एवं रियल एस्टेट विभागों की जरूरतों को पूरा करता है, संक्षेप में समग्र को पकड़ रहा है। उसके निर्माण विभाग की 11,400 करोड़ रुपये की आर्डर बुक, जो कि विभाग की वित्तीय वर्ष 07 की आय से 20 गुने से अधिक है, इस प्रकार थोड़ा हैरत में डालने वाली है। गौरतलब है कि चूंकि इनमें से अधिकतर परियोजनाएं अपनी प्रकृति से लंबी अवधि वाली हैं इसलिए लाभ मिलने की शुरुआत अगले कुछ वर्षोँ में होगी और यह आय में अच्छी-खासी आय मुहैया कराएगी।
ऊर्जा
लैंको इनफ्राटेक अपनी आय का अधिकतर हिस्सा (वित्तीय वर्ष 07 में 51 फीसदी) ऊर्जा क्षेत्र से प्राप्त करता है। 4,000 मेगावाट की सासन ऊर्जा परियोजना को गंवा चुकने के बावजूद लैंको के पास अभी भी जोरदार संभावना है। 518 मेगावाट की उत्पादन क्षमता (विशाल गैस आधारित) का उसका मौजूदा पोर्टफोलियो दिसंबर 2008 तक बढ़कर 620 मेगावाट, 2009-10 तक 1,085 मेगावाट एवं 2010-11 तक और 1,850 मेगावाट हो जाएगा। गौरतलब है कि यह ईंधन (कोयला, गैस और हाइड्रो) एवं भूगोल दोनों के ही संदर्भ में मिश्रण को विविधीकृत करने में सहायता करेगा।
इसके अलावा, 3,640 मेगावाट के बराबर की परियोजनाएं विकसित हो रही हैं (2010-11 तक इनके पूरा होने का अनुमान है), इनमें से 75 फीसदी स्थिर लाभ के आधार वाली हैं और शेष 25 फीसदी वाणिज्यिक ऊर्जा आधार वाली। दूसरी वाली के मामले में, लाभ कंपनी की लागत प्रतियोगितात्मकता पर आधारित हैं और इस प्रकार से ज्यादा बड़ी अपसाइड की संभावना से युक्त हैं। लैंको के लिए, ये परियोजनाएं ईंधन श्रृंखलाओं, प्लांट लोड कारक, मचर्ेंट पावर सेल्स के हिस्से, प्रोत्साहन ढंाचे एवं संयंत्र की उपलब्धता के आधार पर तकरीबन 22-30 फीसदी का इक्विटी पर लाभ (आरओई) सृजित कर सकती हैं (तालिका देखें : लैंको’ज फ्युचर लुक्स पावर पैक्ड) – लिहाजा, प्रति वर्ष 1100-1500 करोड़ रुपये का शुद्ध अनुमानित लाभ। लैंको की पिछली उपलब्धि पर गौर करें तो यह पहले ही 28-30 फीसदी का आरओई सृजित कर रही है, इसे बनाये रखना मुश्किल काम नहीं होना चाहिए। कुछ हद तक चीन के डोंगेफैंग के पास ऊर्जा की सोर्सिंग के लिए उसके साथ लैंकों के समझौते से इसे सहायता मिली है।
चूंकि कंपनी ने 4,000 मेगावाट की अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं समेत दूसरी ऊर्जा परियोजनाओं (लगभग 7,840 मेगवाट) के लिए भी बोली लगायी है, इसलिए और भी करिश्मे देखने को मिल सकते हैं। लेकिन, इसके साथ ही क्रियान्वयन की चुनौतियां भी हैं। लैंको समय पर ऊर्जा परियोजनाओं को पूरा कर चुके होने का दावा करता है। लेकिन, ये परियोजनाएं उनकी तुलना में बहुत छोटी (कुल 518 मेगावाट) थीं जो कि इस समय विकास के विभिन्न चरणों में हैं। लिहाजा, समय पर क्रियान्वयन के संदर्भ में लैंको की अपनी पिछली उपलब्धि को बनाए रखने की योग्यता लक्षित आय एवं मुनाफे में वृद्धि हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
इन हाउस लाभ
हालांकि लैंको इन चुनौतियों को पूरा करने की दिशा में कार्य कर रही है। कंपनी के पास अपनी स्वयं की इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कांस्ट्रक्शन (ईपीसी) विभाग है जो कि उसकी जारी ऊर्जा परियोजनाओं की जरूरतों को पूरा करता है और इस प्रकार से क्रियान्वयन के लिए तीसरे पक्षों पर उसकी निर्भरता को कम करता है। उसके इन-हाउस ईपीएस काम के साथ-साथ उपकरण की सुरक्षित आपूर्ति न केवल ज्यादा तेज क्रियान्वयन में सहायता करती है बल्कि लागत को कम करने – परियोजना की लागत का लगभग 10-15 फीसदी – में भी सहायता करती है।
निर्माण और रियल एस्टेट
निर्माण व्यवसाय में बहुत अधिक वृद्धि नहीं हुई है लेकिन सड़क, सिंचाई, बंदरगाहों और हवाई अड्डा परियोजनाओं का योगदान बढ़ रहा है, जो कि सकल आर्डर बुक के लगभग 5 फीसदी के बराबर पड़ता है। चूंकि अधिकतर परियोजनाओं का क्रियान्वयन अगले तीन वर्षों के दौरान किया जाना है इसलिए इस व्यवसाय से अच्छे-खासे योगदान की आशा की जानी चाहिए।
निर्माण के भीतर लैंको इमारतों, सड़कों, हवाईअड्डों और पाइपलाइनों के पारेषण जैसी विभिन्न परियोजनाओं के लिए बोली लगाने में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। इसने 90 करोड़ रुपये के उत्तर प्रदेश में वाराणसी हवाईअड्डा के निर्माण के लिए ईपीसी अनुबंध को क्रियान्वित करने में पहले ही प्रगति कर ली है और अनेक बंदरगाह परियोजनाओं के लिए बोली लगायी है जिनकी लागत अनुमानत: 5,000-6,000 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, कंपनी समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 1,300 करोड़ रुपये मूल्य की दो बीओटी सड़क परियोजनाओं को भी क्रियान्वित करेगी।
रियल एस्टेट में कंपनी अगले 4-5 वर्षों के दौरान चेन्नई और हैदराबाद में 170 एकड़ में फैली बस्तियों (कॉमर्शियल, आवासीय और गगनचुंबी इमारतें) समेत बड़े आकार की अनेक परियोजनाओं (पहले ही जमीन अधिग्रहीत कर ली है) को क्रियान्वित कर रही है।
निवेश का औचित्य
विभिन्न व्यवसायों को देखते हुए लैंकों का मूल्य आंकने का आदर्श तरीका पार्ट्स मेथड के योग को प्रयोग में लाना है, जहां पर विश्लेषकों को ऊर्जा उत्पादन व्यवसाय और निर्माण व्यवसाय की आर्डर बुक से भावी नकदी प्रवाहों को ध्यान में रखते हुए प्रति शेयर 800 रुपये का मूल्य सौंपा जाता है। इसके अलावा, रियल एस्टेट व्यवसाय का मूल्य 150 रुपये प्रति शेयर पर स्थिर रखा जाता है। जहां हमारे लिए कंपनी की वृद्धि योजनाओं और उन लाभों पर विचार करते हुए क्रियान्वयन पक्ष पर निगाह रखना आवश्यक होगा, जिनके कि अगले 3-4 वर्षों के दौरान प्राप्त होने की आशा है, वहीं लैंको की संभावनाएं अच्छी हैं। 453 रुपये पर निवेशक आशा कर सकते हैं कि लैंको दूरगामी तौर पर अच्छे लाभ प्रदान करेगी।
