कमर्शियल बैंकों ने तिमाही के अंत में अपनी बैलेंस शीट मजबूत करने के लिए जून में जमा प्रमाण पत्र (सीडी) के माध्यम से 1.45 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के आंकड़ों से यह पता चलता है।
जून में सीडी से जुटाया गया धन इसके पहले महीने की तुलना में 76 प्रतिशत ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों ने सीडी के माध्यम से 2.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। बैंकों से कर्ज लिए जाने में तेजी अभी जारी है, जबकि जमा में वृद्धि सुस्त बनी हुई है।
करूर वैश्य बैंक में कोषागार प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘खुदरा जमा में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। फंड जुटाने के अन्य तरीकों में थोक जमा और सीडी जारी करना है। यहां म्युचुअल फंड बड़े हिस्सेदार हैं, जो खुदरा निवेशकों से धन जुटाते हैं और सीडी में निवेश करते हैं। तिमाही के अंत में बैंक सीडी के माध्यम से धन जुटा रहे हैं, जिससे देनदारी मजबूत की जा सके।’
भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ऋण में 14 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में15.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि जमा में वृद्धि 12.1 प्रतिशत है। इसमें एचडीएफसी और एचडीएफसी बंक के विलय का असर शामिल नहीं है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि जमा और ऋण की वृद्धि दर में अंतर मौजूद है और यह बैंकों के बोर्डों को पुनर्विचार करने की जरूरत पर बल देता है कि वे अपने कारोबार की योजना की रणनीति पर फिर से विचार करें। दास ने मौद्रिक नीति की जून की समीक्षा में कहा कि ‘संपत्ति एवं देनदारी में बेहतर संतुलन बनाए रखा जाना चाहिए।’
मई के आखिर में ऋण और जमा का अनुपात 79.59 प्रतिशत था, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 74.90 प्रतिशत था। बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि जून महीने के लिए ट्रेजरी बिल आपूर्ति में कमी के बाद कम अवधि की दरों में गिरावट के बाद सीडी जारी करने के मामले में और वृद्धि होगी। रिजर्व बैंक ने चालू साल में 22 मई से 26 जून के बीच जारी किए जाने वाले ट्रेजरी बिल में 60,000 करोड़ रुपये की कमी करने की घोषणा की है।
सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘बैंक अभी भी जमा बढ़ाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। यही वजह है कि वे सीडी जैसे अन्य विकल्पों पर ध्यान दे रहे हैं। साथ ही ट्रेजरी बिल की आपूर्ति में कटौती के कारण दरों में गिरावट आई है, जिसकी वजह से सीडी जारी करने में तेजी आई है। सरकारी बैंकों ने ज्यादा सीडी जारी की है।’