एचएसबीसी ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स समावेशन के माध्यम से निवेश प्रवाह का एक बड़ा हिस्सा बाकी है और इसे प्रमुख निर्गमों से मदद मिलने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेंचमार्क बॉन्ड लगातार कम विदेशी निवेश से जुड़े हुए हैं।
सितंबर 2023 में, जेपी मॉर्गन ने घोषणा की थी कि वह अपने जीबीआई-ईएम में फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) के तहत आरबीआई द्वारा जारी सरकारी पत्रों को शामिल करेगी। यह समावेशन प्रक्रिया 28 जून से शुरू होगी और 10 महीने तक चलेगी और 31 मार्च 2025 तक हरेक महीने 1-1 प्रतिशत भार शामिल होगा। भारतीय बॉन्डों का भार चीन के समान 10 प्रतिशत होगा।
सितंबर 2023 में सूचकांक में शामिल किए जाने की घोषणा के बाद से भारत सरकार की प्रतिभूतियों में 10.4 अरब डॉलर का निवेश हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत सरकार के बॉन्ड 21 सितंबर 2023 की समावेशन संबंधित घोषणा के बाद से 10.4 अरब डॉलर का निवेश पहले ही दर्ज कर चुके हैं। इससे यह सवाल पैदा हुआ है कि क्या इंडेक्सेशन से जुड़े निवेश का एक बड़ा हिस्सा पूरा हुआ है। हम देखते हैं कि इंडेक्स योग्य बॉन्ड में केवल 8.3 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया है और अकेले चार इश्यू में 66 प्रतिशत विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है।’
रिपोर्ट के अनुसार, अगले 10 महीनों में जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स में थाईलैंड, पोलैंड और चेक गणराज्य के भार में कमी आने की उम्मीद है। इस समायोजन से सूचकांक में भारत के लिए 10 प्रतिशत भार की जगह बन जाएगी।