सप्ताह की शुरुआत भारत सरकार के बॉन्ड प्रतिफल (bond yields) में तेजी के साथ हुई और यह सोमवार को 7 प्रतिशत के आसपास पहुंच गया। इससे पता चलता है कि इसमें अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले तेजी आई है, हालांकि निवेशक RBI की मौद्रिक नीति के रिर्णय का इंतजार कर रहे हैं।
10 वर्षीय बेंचमार्क 7.26 प्रतिशत पर आधारित 2033 का बॉन्ड प्रतिफल 6.9958 प्रतिशत पर बंद हुआ, जो पूर्ववर्ती सत्र में 6.9823 प्रतिशत था। एके कैपिटल सर्विसेज के उपाध्यक्ष योगेश कलिंगे ने कहा, ‘बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि पर नजर रखना अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों में उतार-चढ़ाव के समान है। उनकी ब्याज दरों को लेकर नजरिया विपरीत है।’
मई में रोजगार अनुमान से ज्यादा बढ़ने के बाद अमेरिकी बॉन्ड कीमतों गिरावट आई। इससे फेडरल रिजर्व पर इस महीने दर वृद्धि का दबाव पड़ सकता है।
मई में अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल में 339,000 तक का इजाफा हुआ और देश में मार्च और अप्रैल में अनुमान के मुकाबले 93,000 से ज्यादा नौकरियां पैदा हुईं।
10 वर्षीय प्रतिफल 3.74 प्रतिशत पर रहा, जो गुरुवार के बंद भाव से 13 आधार अंक ज्यादा है, जबकि दो वर्षीय प्रतिफल 22 आधार अंक की तेजी के साथ 4.55 प्रतिशत रहा। दो वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल को ब्याज दर अनुमानों का संकेतक माना जाता है।
अभी भी, भारतीय बॉन्ड प्रतिफल में तेजी कुछ हद तक सीमित रही है क्योंकि कारोबारियों को RBI की मौद्रिक नीति समिति के 8 जून को आने वाले निर्णय का इंतजार है।
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64 अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स के सर्वेक्षण से पता चलता है कि RBI जून के साथ साथ 2023 के शेष समय में मुख्य ब्याज दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रखेगा।
पूर्ववर्ती वित्त वर्ष में रीपो दर में 250 आधार अंक तक तक की वृद्धि करने के बाद केंद्रीय बैंक ने अपनी अप्रैल की नीतिगत समीक्षा में दरें अपरिवर्तित बनाए रखकर बाजारों को चकित कर दिया।