जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में भारत के सरकारी बॉन्ड शामिल किए जाने से पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लंबी अवधि की सरकारी प्रतिभूतियों में पोजीशन बना रहे हैं।
सरकारी बॉन्ड 28 जून से शामिल किए जाएंगे। कम आकर्षक बॉन्डों मसलन 7.18 फीसदी 2037, 7.26 फीसदी 2033 और 7.18 फीसदी 2033 में भी विदेशी निवेशकों की बढ़ी हुई मांग दिख रही है।
सितंबर 2023 में जेपी मॉर्गन ने ऐलान किया था कि वह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी सरकारी प्रतिभूतियों को जीबीआई-ईएम में शामिल करेगा। शामिल की जाने वाली प्रक्रिया को 10 महीने में चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा और मार्च 2025 तक हर महीने एक-एक फीसदी का भार बढ़ाया जाएगा। भारतीय बॉन्डों का चीन के जितना ही यानी 10 फीसदी भार होगा।
सितंबर 2023 में इसकी घोषणा के बाद से ही करीब 10.4 अरब डॉलर का विदेशी निवेश भारत सरकार की प्रतिभूतियों में आ चुका है। जून के महीने में विदेशी बैंक प्रमुख खरीदार रहे। सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों ने इन बॉन्डों की बिक्री मुनाफे पर की जिससे 10 वर्षीय बेंचमार्क का प्रतिफल एक दायरे में रहा।
एसटीसीआई प्राइमरी डीलर के कार्यकारी उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शाह ने कहा कि बाजार इस घटनाक्रम के साथ अच्छी रफ्तार और सकारात्मकता के साथ जुड़ रहा है।
देसी निवेशकों के मामले में उनके निवेश नियम बदले हैं और बॉन्ड को इंडेक्स में शामिल करने से बढ़ने वाली मांग को देखते हुए उनकी तरफ से कुछ मुनाफावसूली हो सकती है। बेंचमार्क प्रतिफल निकट भविष्य में 6.95 फीसदी से लेकर 7 फीसदी के दायरे में बना रह सकता है। 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल मंगलवार को 6.99 फीसदी पर टिका।
एचएसबीसी के नोट के अनुसार 38 एफएआर प्रतिभूतियों में से सिर्फ 28 बॉन्ड (413 अरब डॉलर बकाया) ही इंडेक्स में शामिल होने के पात्र हैं। मौजूदा बेंचमार्क प्रतिभूतियों में लगातार कम विदेशी निवेश है। इंडेक्स के पात्र बॉन्डों ने सिर्फ 8.3 अरब डॉलर का निवेश हासिल किया है जबकि कम आकर्षक इश्यू में विदेशी निवेश का 66 फीसदी हिस्सा मिला है।