सोमवार को 10 साल की सरकारी बॉन्ड यील्ड 6.85% पर पहुंच गई, जो पिछले सात महीनों में सबसे बड़ी छलांग है। इसका पिछला रिकॉर्ड जून 2024 में बना था। बाजार पर कई तरफ से दबाव पड़ा। डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिर गया, तेल की कीमतें आसमान छूने लगीं, और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड भी उफान पर है।
जाना स्मॉल फाइनेंस बैंक के गोपाल त्रिपाठी ने कहा, “रुपये की गिरावट और तेल की बढ़ती कीमतों ने निवेशकों को बेचने पर मजबूर कर दिया। जब तक ये चीजें नहीं सुधरतीं, बॉन्ड यील्ड में और उछाल आ सकता है।”
कच्चे तेल और डॉलर का खेल
ब्रेंट क्रूड की कीमतें $80 प्रति बैरल से ऊपर चली गईं। वह इसलिए क्योंकि अमेरिका ने रूस के तेल पर और कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। उधर, अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड भी तेजी में है। दिसंबर में अमेरिका में नौकरियों के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे, जिससे बाजार को झटका लगा। सोमवार को रुपया 86.6750 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह दो साल में सबसे बड़ी एक दिन की गिरावट थी। डॉलर मजबूत हो रहा है, शेयर बाजार से पैसा निकल रहा है, और रिजर्व बैंक का दखल भी कम नजर आ रहा है।
आगे क्या होगा?
अमेरिका में महंगाई के आंकड़े बुधवार को आएंगे, जिस पर सभी की नजरें टिकी हैं। अगर वहां से कोई बड़ा झटका आता है, तो भारतीय बाजार पर भी इसका असर दिख सकता है। लेकिन एक राहत की खबर है—भारत में खुदरा महंगाई 5.22% पर आ गई है, जो पहले के 5.48% से कम है।
रुपये की कमजोरी, कच्चे तेल का उफान और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड की तेजी ने भारतीय बाजार की टेंशन बढ़ा दी है। निवेशक अब यह देख रहे हैं कि अमेरिकी और भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े अगले आंकड़े क्या संकेत देते हैं। तब तक बाजार की उथल-पुथल जारी रह सकती है। (रॉयटर्स के इनपुट के साथ)