भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हाल की बैठकों में बैंकों ने सुझाव दिया है कि अप्रैल-सितंबर 2023 के दौरान केंद्र सरकार के बाजार उधारी कैलेंडर में अधिक लंबी अवधि के सरकारी बॉन्ड जारी किए जाएं तथा 20 साल के बॉन्ड पेश किए जाएं।
सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बीमा कंपनियों, प्रोविडेंट और पेंशन फंडों जैसे लंबी अवधि के निवेशकों द्वारा चालू वित्त वर्ष में इस तरह की प्रतिभूतियों की मजबूत मांग दिखाए जाने के बाद और अधिक लंबी अवधि की परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्ड के लिए अनुरोध किया है।
ज्यादातर बैंकों ने यह भी सुझाव दिया कि आरबीआई को फ्लोटिंग रेट बॉन्ड (एफआरबी) नहीं बेचने चाहिए या फिर अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में उधारी कैलेंडर में इन प्रतिभूतियों की मात्रा कम करनी चाहिए।
ये बैठकें अप्रैल-सितंबर के उधारी कैलेंडर को जारी किए जाने से पहले हुई हैं, जो अगले महीने के अंत तक जारी किया जा सकता है। आरबीआई सरकार का ऋण प्रबंधक होता है।
वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के आम बजट में सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 15.43 लाख करोड़ रुपये के सकल उधार कार्यक्रम की घोषणा की थी, जो नया शीर्ष स्तर है। बजट में संशोधित अनुमान के अनुसार सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सकल रूप से बॉन्ड बिक्री के जरिये 14.21 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया था।
सरकार आम तौर पर वित्त वर्ष के पहले छह महीने में उधारी के बड़े हिस्से की व्यवस्था करती है।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि बीमा कंपनियों की ऐसी मांग के मद्देनजर एक स्पष्ट अनुरोध और अधिक लंबी अवधि वाले बॉन्ड के संबंध में था, खास तौर पर 20 वर्ष वाले बॉन्ड लाने के लिए। हमने बीमा कंपनियों की ओर से मांग में ढांचागत बदलाव देखा है।
खबर लिखे जाने तक आरबीआई को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।