केन्द्रीय बजट 2008-09 में आयकर प्रावधानों में फेरबदल का प्रस्ताव प्रतिभूति कर कारोबार के लिए निराशा का सबब रहा। प्रतिभूति करों से संबंधित आयकर नियमों में बदलाव के प्रस्ताव से अब तक कम टैक्स चुका के फायदा उठाने वाले ब्रोकरों को काबू में करना संभव होगा।
केन्द्रीय बजट में इसे एक व्यावसायिक की बजाय किसी भी अन्य कटौती योग्य परिव्यय की तरह माना जाएगा। पिछले कुछ सालों में बड़े आर्बिट्रेजर और जॉबर्स जिन्होंने एसटीटी से भारी मुनाफा कमाया, इसे 1 से 2 प्रतिशत की कमीशन पर शेयर ब्रोकरों को बेच दिया।
आर्बिटे्रजर वे होते है जो एक ही समय विभिन्न बाजारों में प्रतिभूतियों की खरीदारी और बिकवाली करते हैं ताकि प्रतिभूतियों की कीमतों मे अंतर का फायदा उठाया जा सके।
आर्बिटे्रजर मुख्यत: नकदी और डेरिवेटिव बाजार में खरीदारी करते है। जॉबर वे होते है जो एक विशेष प्रतिभूति बाजार में शेयरों की खरीद-फरोख्त करते है और उनकी निगाहें दिनभर के उतार-चढ़ाव पर रहती है। वे दिनभर के उतार-चढ़ावों से अर्जित आय को बिजनेस आय के रुप में दर्शाते है।
अभी आयकर प्रावधानों की धारा 88ई के तहत करदेयता में एसटीटी को छूट मिलती है। इस प्रकार की छूट दिनभर के कारोबार से होने वाली आय पर मिलती है।
स्टॉक ब्रोकर आर्बिट्रेजर और जॉबर से एसटीटी की खरीदारी करते है और इस प्रकार की खरीद करके वे अपनी बिजनेस आय पर 50 से 60 फीसदी कम कर का भुगतान करते है।
पहले बोक्रेज हाउस आर्बिटे्रजर और जॉबर का इस्तेमाल प्रोप्राइटरी एकाउंट फर्म के रुप में करते थे। ये कारोबार लाभ के साथ खर्चों पर किये जाते थे। इसलिये इन पर कोई बोक्रिंग चार्ज नहीं लगता था। लेकिन यह एसटीटी को प्राप्त कराने में मदद कराते थे।
इस बारे में बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि शेयर बाजार में प्रतिभूतियों की खोखली कीमतों और बाजार की बुलबुले जैसी स्थिति के लिये कहीं न कहीं एसटीटी भी जिम्मेदार थे।
आठ जनवरी को शेयर बाजार की ऊंचाइयों के समय इस तरह की नकदी शेयर बाजार में 37,301 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। जिनमें बीएसई की हिस्सेदारी 11,867 करोड़ और एनएसई की हिस्सेदारी 25,434 करोड़ रुपए है। जबकि एनएसई के डेरिवेटिव सेगमेंट में यह हिस्सेदारी 85,000 करोड़ रुपये थी।
हालांकि अगले वित्तीय वर्ष में पूंजी कारोबार कमजोर रहने की आशा है लेकिन इससे शेयर बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
