भारत के विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर होने – 2047 तक विकसित भारत के मद्देनजर देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का लक्ष्य अपनी संपत्तियों का आकार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करना है। एसबीआई के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा कि इससे बैंक को संपत्ति के मामले में 10 से 20 वैश्विक बैंकों में शामिल होने में मदद मिलेगी। यह जानकारी शेट्टी ने भारत के राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के एमडी व सीईओ दिलीप अस्बे के साथ बातचीत में एनपीसीआई के यूट्यूब चैनल पर दी।
उन्होंने बताया, ‘एसबीआई को भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। एसबीआई की जमाराशि में हिस्सेदारी 23 प्रतिशत है जबकि ऋण में हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है। एसबीआई की संपत्ति का आकार बीते 15 से 20 वर्षों से देश के सकल घरेलू उत्पाद का 20 प्रतिशत है। भारत बहुमुखी रूप से विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। एसबीआई इस वृद्धि को मदद देने की स्थिति में है।’
उन्होंने कहा, ‘हमारी चाहत संपत्ति के मामले में जीडीपी के 20 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत बनना है। हम संपत्ति के मामले में देश की अर्थव्यवस्था के मामले में एक चौथाई बनना चाहते हैं। यह हमें वास्तविक रूप से विश्व के 10 शीर्ष बैंक या संपत्ति के मामले में विश्व के 20 शीर्ष बैंक बनने की इच्छा पैदा करती है। हम आज विश्व के शीर्ष 50 बैंकों में भारत के अकेले बैंक हैं।’ वित्त वर्ष 25 की समाप्ति पर बैंक की बैलेंस शीट का आकारर 66 लाख करोड़ के पार हो जाएगा।
शेट्टी ने कहा कि भारत को उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। भारत की अर्थव्यवस्था में नए दौर के क्षेत्र बेहद मदद करेंगे और एसबीआई इन क्षेत्रों को धन मुहैया कराने के लिए तैयार रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘यह क्षेत्र सेमीकंडक्टर हो सकता है, हरित हाइड्रोजन हो सकता है, बैटरी स्टोरज भी हो सकता है। हमारा विश्वास है कि एसबीआई ने बीते वर्षों में न केवल उद्योगों को धन मुहैया करवाया है बल्कि क्षेत्रों को क्षमता विकसित करने में मदद की है। इसका कारण यह है कि हम क्षेत्रों को समझते हैं। लिहाजा हम उद्योगों को की सहकारी या सहकारी निकाय ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंज’ स्थापित कर रहे हैं।’
शेट्टी ने यह भी कहा कि एसबीआई भारत का एकमात्र बहुराष्ट्रीय बैंक है जिसकी वैश्विक उपस्थिति है। बैंक का अंतरराष्ट्रीय कारोबार का लक्ष्य वैश्विक मार्केट की चाहत रखने वाले भारत के कॉरपोरेट्स को मदद करना है और इन देशों में उन्हें धन मुहैया करवाना है। इस क्रम में इन कॉरपोरेट्स को विदेशी वाणिज्यिक उधारी से धन मुहैया करवाया जाता है।
अभी एसबीआई की कुल बैलेंस शीट में एसबीआई के विदेशी संचालन की हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है और इसे बढ़ाकर 12 से 13 प्रतिशत करने की चाहत है।