भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की लोकपाल व्यवस्था के तहत वित्त वर्ष 2025 में पहली बार निजी क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ शिकायत, सरकारी बैंकों से अधिक हुई है। रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल के दौरान निजी बैंकों की 1,11,119 शिकायतें आई हैं, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 1,03,117 शिकायतें आई हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) के तहत पंजीकृत शिकायतें 13.55 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 13.3 लाख हो गई हैं, जो वित्त वर्ष 2024 में 11.8 लाख थीं।
केंद्रीय बैंक को ऑफिस ऑफ द रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऑब्ड्समैन (ओआरबीआईओ) और सेंट्रलाइज्ड रिसीट ऐंड प्रॉसेसिंग सेंटर (सीआरपीसी) के माध्यम से शिकायतें मिली हैं।
वित्त वर्ष 2025 में ओआरबीआईओ से 2,96,000 शिकायतें मिलीं, जो इसके पहले वित्त वर्ष की तुलना में 0.82 प्रतिशत ज्यादा हैं। इसमें से बैंकों के खिलाफ सबसे ज्यादा 2,42,000 शिकायतें मिली हैं, जो कुल शिकायतों का 81.53 प्रतिशत है। इसके बाद एनबीएफसी की 43,864 शिकायतें आईं, जो वित्त वर्ष 2025 में कुल शिकायत का 14.80 प्रतिशत है। बैंकों में निजी क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ शिकायतें सबसे ज्यादा थीं और वित्त वर्ष 2024 के 34.39 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में कुल शिकायत में इनके खिलाफ शिकायत बढ़कर 37.53 प्रतिशत हो गई। बहरहाल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ शिकायत वित्त वर्ष 2024 में सर्वाधिक थीं, जिनका प्रतिशत 38.32 से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 34.80 प्रतिशत रह गया है।
आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025 में ऋण और एडवांस से जुड़ी सबसे अधिक 52,427 शिकायतें आई हैं। क्रेडिट कार्ड से जुड़ी शिकायतें पिछले साल से 20.04 प्रतिशत बढ़कर 50,811 हो गई हैं, जो शिकायतों में दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को लेकर इस दौरान 49,951 शिकायतें आईं, जो कुल शिकायतों का 16.86 प्रतिशत है।