भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को बैंकों और एनबीएफसी सहित किसी एकल विनियमित संस्था (आरई) द्वारा वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) योजना में निवेश की सीमा कोष के 10 प्रतिशत तक तय की है। साथ ही किसी भी एआईएफ योजना में सभी विनियमित संस्थाओं का कुल योगदान उस योजना के कोष के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने एआईएफ में आरई द्वारा किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश के हिस्से के रूप में इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स को प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा है।
इससे पहले मई में रिजर्व बैंक ने एक मसौदा परिपत्र में किसी भी एआईएफ योजना में आरई द्वारा निवेश की कुल सीमा 15 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया था, जिसमें एकल आरई का योगदान योजना के कुल कोष के 10 प्रतिशत तक सीमित था। नए दिशानिर्देश 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होंगे या यह आरई की आंतरिक नीति के तहत फैसला की गई पहले की किसी तिथि से लागू हो सकते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि दिशानिर्देशों की समीक्षा उद्योग जगत की प्रतिक्रिया के साथ ही सेबी के नियमों को ध्यान में रखते हुए की गई है।