भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘लघु वित्त’ का टैग खत्म करने का लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) का अनुरोध खारिज कर दिया है। लघु वित्त बैंकों के नाम से ‘लघु वित्त’शब्द हटाने का अनुरोध खारिज करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि एसएफबी का वित्तीय समावेशन जैसे विशेष मकसद को लेकर बैंक से अलग कार्य है।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘विशेष मकसद को लेकर बैंकों से इतर एसएफबी की अवधारणा लाई गई है। नाम के साथ एसएफबी का टैग इसे अलग करने का प्रमुख साधन है। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि इस समय इसमें किसी संशोधन की जरूरत है।’ साथ ही इन इकाइयों का मकसद उच्च तकनीक और कम लागत वाले परिचालन की मदद से वंचित और सेवाएं न पाने वाले लोगों का वित्तीय समावेशन करना है।
उन्होंने कहा, ‘प्राथमिकता वाले क्षेत्र के मानक पूरा करा इसका प्रमुख मकसद था। इसलिए पीएसएल के लिए के लिए मानक उसी तरह बने रहेंगे।’
एसएफबी ने नाम की वजह से आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया, जो ‘लघु’शब्द की वजह से आती हैं। उन्होंने कहा कि कर्ज देना मसला नहीं है, लेकिन जमाकर्ता इस टैग की वजह से दूर भागते हैं।
नियामक के साथ बातचीत में एसएफबी के अधिकारियों ने कहा था कि बैंक उन कार्यों को जारी रख सकते हैं, जो उनके लिए अनिवार्य किया गया है, जिसमें छोटे ग्राहकों को जोड़ना शामिल है। इसी वजह से वह अस्पष्टता दूर होगी, जो जमाकर्ताओं के मन में आती है।