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RBI MPC Meet: रिजर्व बैंक ब्याज दरों में करेगा बदलाव? बिजनेस स्टैंडर्ड पोल में 10 एक्सपर्ट ने जताया ये अनुमान

बिजनेस स्टैंडर्ड के पोल में 10 एनॉलिस्ट ने अनुमान जताया है कि रिजर्व बैंक लगातार 11वीं बार रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा।

Last Updated- December 02, 2024 | 11:08 AM IST
RBI MPC
Representative Image

RBI MPC Meet: चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (Q2FY25) में GDP की ग्रोथ रेट में गिरावट के बीच रिजर्व बैंक (RBI) इस हफ्ते हो रही मौद्रिक नीति समिति (MPC) मीटिंग में ब्याज दरें स्थिर रखने का फैसला कर सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड के पोल में 10 एनॉलिस्ट ने अनुमान जताया है कि रिजर्व बैंक लगातार 11वीं बार रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। हालांकि, इस पोल केवल IDFC First बैंक ने पॉलिसी रेट में 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती की उम्मीद जताई है।

बता दें, रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर फैसला करते समय खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) को भी ध्यान में रखता है। अक्टूबर में महंगाई दर आरबीआई के 6 फीसदी के अनुमान से ऊपर निकल गई है।

गौरतलब है कि मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच RBI ने रीपो रेट में कुल 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत तक पहुंचाया था। इसके बाद से MPC ने अपनी पिछली 10 बैठकों में इसे स्थिर रखा है।

RBI MPC BS poll

ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि इस वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि और महंगाई के अनुमानों में बदलाव हो सकता है। आरबीआई अपना विकास अनुमान 7.2 प्रतिशत से घटा सकता है और महंगाई का अनुमान 4.5 प्रतिशत से बढ़ा सकता है।

हालांकि ब्याज दरें वही रह सकती हैं, लेकिन इस बार शुक्रवार को होने वाली दिसंबर की बैठक में आरबीआई का जोर लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर हो सकता है।

बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी देखने को मिल रही है। इसकी वजह विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप और सरकारी धन प्रवाह में अस्थायी असंतुलन बताई जा रही है। ऐसे में बैंकों के लिए कैश रिजर्व रेशियो (CRR) कम किए जाने की संभावना जताई जा रही है।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अर्थशास्त्री अनुभूति सहाय और सौरव आनंद ने कहा कि ग्रोथ में सुस्ती को देखते हुए आरबीआई 25 बेसिस पॉइंट की सीआरआर कटौती कर सकता है। इससे लिक्विडिटी की कमी का असर ग्रोथ पर नहीं पड़ेगा। साथ ही, रेट कट से पहले लिक्विडिटी बढ़ाने से पॉलिसी ट्रांसमिशन भी बेहतर हो सकता है।

यह कदम आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और बैंकिंग सिस्टम में संतुलन बनाए रखने के लिए अहम हो सकता है।

बैंकिंग सिस्टम में गुरुवार तक नेट लिक्विडिटी 9,489 करोड़ रुपये के घाटे में रही। 26 नवंबर को दो महीने की सरप्लस स्थिति के बाद सिस्टम की लिक्विडिटी नेगेटिव हो गई। कोर लिक्विडिटी सरप्लस, जिसमें सिस्टम लिक्विडिटी और सरकारी बैलेंस शामिल होते हैं, 27 सितंबर को 4.6 लाख करोड़ रुपये से घटकर 15 नवंबर तक 1.6 लाख करोड़ रुपये रह गया।

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की लीड इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा, “रेट कट की संभावना कम है। दिसंबर पॉलिसी में इसका फैसला मुश्किल हो सकता है, लेकिन आरबीआई कुछ लिक्विडिटी टूल्स का ऐलान कर सकता है। हमें बड़े संशोधन की उम्मीद है।”

अक्टूबर में एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने अपने रुख को “विथड्रॉल ऑफ एकोमोडेशन” से “न्यूट्रल” किया था।

विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरों को स्थिर रखने का फैसला मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के जोखिम पर आधारित होगा, क्योंकि रोजाना की रिटेल प्राइस, खासकर सब्जियों की कीमतें, बढ़ रही हैं। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि फरवरी से मामूली रेट कट की शुरुआत हो सकती है।

आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री अचला जेतमलानी ने कहा, “मौजूदा मुद्रास्फीति और अन्य चुनौतियों को देखते हुए सतर्क और सावधान अप्रोच अपनाई जाएगी। सीजनल करेक्शन के चलते सब्जियों की कीमतों में कुछ राहत मिल सकती है। खाद्य मुद्रास्फीति को कम और स्थिर स्तर पर बनाए रखना जरूरी है ताकि FY25 की दूसरी छमाही में हेडलाइन मुद्रास्फीति 5% से नीचे आ सके।”

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 14 महीने के उच्च स्तर 6.21% पर पहुंच गई, जो सितंबर में 5.49% थी। यह विभिन्न सेक्टर्स में लगातार बढ़ते प्राइस प्रेशर को दर्शाता है।

भारत की आर्थिक विकास दर में जुलाई-सितंबर तिमाही (FY25) के दौरान उम्मीद से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। यह विकास दर घटकर 5.4% रह गई, जो सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है। विश्लेषकों ने इसे करीब 6.5% रहने का अनुमान लगाया था। इंडस्ट्री में सुस्ती और निवेश की कमजोर मांग इस गिरावट की मुख्य वजह मानी जा रही है।

IDFC फर्स्ट बैंक की अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि ग्रोथ को लेकर आशंका बढ़ गई है। उन्होंने बताया, “हमारी FY25 की GDP ग्रोथ का 6.6% का अनुमान अब जोखिम में है। वहीं, महंगाई बढ़ती हुई दिख रही है, लेकिन इसका ज्यादातर असर फूड आइटम्स पर केंद्रित है। कोर इंफ्लेशन (मूल महंगाई दर) अब भी सामान्य बनी हुई है। ग्रोथ में कमी का मतलब है कि आउटपुट गैप और बढ़ गया है।”

RBI के 7.2% ग्रोथ के अनुमान को लेकर सभी विशेषज्ञ सहमत हैं कि इसे घटाकर 7% से कम किया जा सकता है। साथ ही, महंगाई का अनुमान भी बढ़ाए जाने की संभावना है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, “RBI का 7.2% ग्रोथ का अनुमान कुछ खास परिस्थितियों पर आधारित था, लेकिन दूसरी तिमाही ने बड़ा झटका दिया है। हालांकि, हमें दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद है, लेकिन ग्रोथ 7% से नीचे ही रहने की संभावना है।”

महंगाई को लेकर सबनवीस ने कहा कि वर्तमान में FY25 के लिए 4.5% का अनुमान है, लेकिन इसे बढ़ाना पड़ सकता है। “Q3 के लिए 4.8% का अनुमान था, लेकिन अब यह 5% से ज्यादा होने की संभावना है। हमारा अनुमान है कि यह 5.2% के करीब रहेगा, जिससे पूरे साल का औसत अनुमान 4.5% से थोड़ा ज्यादा हो सकता है।”

इस आर्थिक सुस्ती और बढ़ती महंगाई ने विकास दर और वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।

First Published - December 2, 2024 | 11:02 AM IST

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