सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में शुद्ध लाभ एक साल पहले के मुकाबले 16.1 फीसदी बढ़कर 39,974 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले के मुकाबले बैंकों की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) में 7.1 फीसदी की धीमी वृद्धि देखी गई जबकि प्रावधान और आकस्मिक खर्चों में 10.5 फीसदी की गिरावट आई, जिससे मुनाफे में स्थिर वृद्धि में मदद मिली।
बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के 12 सूचीबद्ध बैंकों के आंकड़ों के संकलन के मुताबिक, तिमाही आधार पर देखें तो बैंकों का शुद्ध लाभ मार्च तिमाही के 42,847 करोड़ रुपये के मुकाबले 6.7 फीसदी कम हो गया।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शुद्ध लाभ में करीब 44 फीसदी हिस्सेदारी देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक की रही। राजस्व का प्रमुख कारक एनआईआई भी एक साल पहले के मुकाबले 7.1 फीसदी बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये रहा। तिमाही आधार पर बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के मुकाबले एनआईआई में 0.4 फीसदी की मामूली गिरावट आई।
बैंकों के अर्जित ब्याज में एक साल पहले के मुकाबले 15.1 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि ब्याज भुगतान की वृद्धि पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 20.5 फीसदी रही। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि देनदारियों के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा के बीच जमा की बढ़ती लागत ने एनआईआई को सालाना आधार पर और तिमाही रूप से प्रभावित किया है।
इंडिया रेटिंग्स के निदेशक करण गुप्ता ने कहा कि जमा लागत में वृद्धि को देखते हुए एनआईआई पर दबाव की उम्मीद की जा रही थी। चालू वित्त वर्ष में यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है और इससे शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) 10 से 15 आधार अंकों तक कम हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी बैंकों की बकाया सावधि जमा पर भारित औसत दरें पिछले साल जून की 6.46 फीसदी से 54 आधार अंक बढ़कर इस साल जून में 7 फीसदी हो गई।
बकाया कर्ज पर भारित औसत उधार दरें भी एक साल पहले 9.19 फीसदी से 2 आधार अंक बढ़कर 9.21 फीसदी हो गई। अन्य आय जिसमें शुल्क, कमीशन और राजकोषीय प्रवाह से प्राप्त राजस्व शामिल हैं, वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के 34,416 करोड़ रुपये के मुकाबले मामूली तौर पर सिर्फ1.5 फीसदी बढ़ी।
अप्रैल 2024 से लागू की गई निवेश बही के संशोधित मानदंडों के तहत कुछ फायदे लाभ और हानि खातों के (पीऐंडएल अकाउंट्स)बजाय रिजर्व में दिखाए गए थे। अन्य आय बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के 46,146 करोड़ रुपये से 25.4 फीसदी कम हो गई।
स्टैंडर्ड ऋण और एनपीए सहित प्रावधान और आकस्मिक व्यय भी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एक साल पहले के मुकाबले 10.5 फीसदी कम होकर 17,004 करोड़ रुपये रह गई। मगर तिमाही आधार पर यह बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही 14,309 करोड़ रुपये के मुकाबले 18.8 फीसदी बढ़ी।