कोविड-19 महामारी की वजह से व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र में वृद्धि पर बुरा असर पड़ा है। सीआरआईएफ हाई मार्क के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 21 पहले 5 महीनों के दौरान इस पोर्टफोलियो में महज 0.57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगस्त 2020 के अंत तक बकाया पोर्टफोलियो 5.07 लाख करोड़ रुपये था।
दिलचस्प है कि मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र में 26.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जब महामारी ने देश को अपनी चपेट में ले लिया। उस समय बकाया पोर्टफोलियो 5.04 लाख करोड़ रुपये था। पिछले कुछ साल के दौरान इस सेग्मेंट में तेज बढ़ोतरी दर्ज हुई है क्योंकि कर्जदाताओं ने कम अवधि की जरूरतों के लिए छोटे कर्ज देकर, युवाओं को लुभाकर, कम आय वर्ग को कर्ज देकर ग्राहक पाने पर बहुत ध्यान दिया है।
यह वृद्धि मुख्य रूप से गैर बैंकों, फिनटेक और नए दौर के कर्जदाताओं की वजह से हुई है। अगस्त 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक मात्रा के आधार पर इसमें एनबीएफसी की बाजार हिस्सेदारी 42 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 17 प्रतिशत से ज्यादा है। इसमें गैर बैंकों की हिस्सेदारी मामूली घटी है और निजी व सार्वजनिक बैंकों की हिस्सेदारी बढ़ी है।
सीआरआईएफ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘वित्त वर्ष 21 में कोविड-19 के व्यवधानों ने वित्त प्रदाताओं के उधारी देने पर असर डाला है, जो व्यक्तिगत ऋण के बाजार में मात्रात्मक वृद्धि दर्ज कर रहे थे। इनकी छोटे और मझोले शहरों में बेहतर पैठ थी, जिस पर लॉकडाउन का असर पड़ा और महामारी से जुड़े तनावों के कारण कारोबार कम हो गया।’
मार्च 2020 के आखिर में इस सेग्मेंट में सक्रिय ऋण करीब 60 प्रतिशत बढ़ रहा था, लेकिन महामारी के बाद यह बहुत सुस्त हो गया और अगस्त के आखिर तक सक्रिय ऋण की स्थिति खराब हो गई।
चिंता वाली बात यह है कि चूक के मामले 31 से 180 दिन के बकाये (डीपीडी) और 91 से 180 दिन केडीपीडी में बढ़कर क्रमश: 44 बीपीएस और 26 बीपीएस हो गए हैं। वहीं मार्च 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक कर्ज में चूक पिछले दो साल में दोगुनी बढ़ी है। छोटे कर्ज और जोखिम वाले उपभोक्ताओं की चूक की वजह से अगस्त तक कर्ज में चूक 2.64 प्रतिशत पर पहुंच गई। बहरहाल रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर अभी यह निचले स्तर पर है।
