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New Banking Laws: आज से लागू हुआ नया बैंकिंग कानून, 57 साल बाद ₹5 लाख से सीधे ₹2 करोड़ हुआ सब्स्टेंशियल इंटरेस्ट

सरकार ने 29 जुलाई 2025 को अधिसूचना जारी कर बताया कि 1 अगस्त से अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 15, 16, 17, 18, 19 और 20 लागू होंगी।

Last Updated- August 01, 2025 | 10:19 AM IST
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भारत सरकार ने बैंकिंग लॉ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधानों को 1 अगस्त 2025 से लागू करने का फैसला किया है। यह अधिनियम 15 अप्रैल 2025 को अधिसूचित किया गया था और इसमें पांच अलग-अलग कानूनों में कुल 19 संशोधन किए गए हैं। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1955 और बैंकिंग कंपनियां (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 व 1980 शामिल हैं। सरकार ने 29 जुलाई 2025 को अधिसूचना जारी कर बताया कि 1 अगस्त से अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 15, 16, 17, 18, 19 और 20 लागू होंगी।

इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग सेक्टर में गवर्नेंस को मजबूत करना, जमा करने वालों और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाना, पब्लिक सेक्टर बैंकों में ऑडिट क्वालिटी को सुधारना और सहकारी बैंकों में डायरेक्टर्स के कार्यकाल को बढ़ाना है। इस अधिनियम के तहत सबसे बड़ा बदलाव ‘सब्स्टेंशियल इंटरेस्ट’ की परिभाषा में किया गया है। पहले इसकी सीमा ₹5 लाख थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दिया गया है। यह सीमा 1968 से पहली बार संशोधित की गई है।

सहकारी बैंकों में भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब चेयरपर्सन और फुल टाइम डायरेक्टर को छोड़कर अन्य डायरेक्टर्स का कार्यकाल 8 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। यह कदम 97वें संवैधानिक संशोधन के अनुरूप है। वहीं, पब्लिक सेक्टर बैंकों को अब अनक्लेम्ड शेयर, ब्याज और बॉन्ड रिडेम्पशन की राशि को इन्वेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में ट्रांसफर करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, उन्हें स्टैच्यूटरी ऑडिटर्स को फीस देने का अधिकार भी दिया गया है, जिससे बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाला ऑडिट संभव हो सकेगा।

इन नए प्रावधानों के लागू होने से भारतीय बैंकिंग सेक्टर का कानूनी और गवर्नेंस ढांचा और मजबूत होगा। इसके साथ ही, जमाकर्ताओं व निवेशकों की सुरक्षा में बढ़ोतरी होगी और पब्लिक सेक्टर बैंकों की ऑडिट व्यवस्था और अधिक पारदर्शी व सशक्त बनेगी।

First Published - August 1, 2025 | 10:19 AM IST

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