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ITR Filing 2022: इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर टैक्स नियमों को लेकर रहें सावधान

Last Updated- December 11, 2022 | 5:12 PM IST

वित्त वर्ष 2021-22  के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख काफी नजदीक आ चली है। इसलिए आज इस कन्फ़्यूज़न को दूर करने का प्रयास करते हैं।
 
नियमों के मुताबिक, एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचते या रिडीम करते हैं तो कैपिटल गेन/लॉस शॉर्ट-टर्म मानी जाएगी। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन/इनकम पर आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो पॉजिटिव/निगेटिव रिटर्न लौंग-टर्म कैपिटल गेन/लॉस मानी जाएगी। सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा के लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर आपको 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लौंग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। ध्यान रहे कि सालाना एक लाख रुपए से कम के लौंग-टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स का प्रावधान नहीं है।
 
कई लोग यह समझते हैं कि अगर लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से सालाना लौंग-टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपए से कम है और टैक्सेबल इनकम भी 5 लाख रुपए से कम है तो आपको कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। उदाहरण के तौर पर मान लीजिये किसी व्यक्ति का टैक्सेबल इनकम छूट और कटौती यानी एग्जेंप्शन और डिडक्शन के बाद 4.5 लाख रुपए है जबकि वित्त वर्ष के दौरान उसे लिस्टेड इक्विटी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड से 80 हजार रुपए का लौंग-टर्म कैपिटल गेन हुआ। इस मामले में कई लोगों को यह लग सकता है कि सालाना कैपिटल गेन भी एक लाख रुपए से कम है जबकि टैक्सेबल इनकम भी 5 लाख रुपए से कम है तो टैक्स देनदारी नहीं बनेगी।
 
ऐसा नहीं है।
 
सीनियर टैक्स कंसल्टेंट अजय अग्रवाल के मुताबिक अगर इस मामले में कैपिटल गेन को टैक्सेबल इनकम में जोड़ देते हैं तो वह 5 लाख रुपए से ज्यादा हो जाता है। इसलिए इस मामले में टैक्स देनदारी बनेगी। हां, अगर लौंग-टर्म कैपिटल गेन को शामिल करने के बाद टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए से कम होता तो टैक्स देनदारी नहीं बनती।
 
छूट और कटौती के बाद जो इनकम बच जाती है उसे टैक्सेबल इनकम कहते हैं और इसी इनकम पर आपको टैक्स देना होता है।

First Published - July 29, 2022 | 10:30 AM IST

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