सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लिए परिसंपत्ति गुणवत्ता की चिंताओं और प्रशासनिक सुधारों को लागू करने में देरी के कारण निजी निवेशकों से पूंजी जुटाना मुश्किल हो सकता है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है।
इन बैंकों ने अपने खाते साफ-सुथरा बनाए हैं और इस क्षेत्र में विलय के बाद एकीकरण हुआ है, लेकिन बीते समय के बड़े फर्जीवाड़ों का असर और फंसे ऋणों का बोझ एक मुद्दा बना हुआ है। पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) और आईडीबीआई बैंक की पूंजी जुटाने की योजना से जुड़े मर्चेन्ट बैंकों के दो कार्याधिकारियों ने कहा कि हाल में इन बैंकों के क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) में निवेशकों की कम रुचि दिखाई दी।
तकनीकी रूप से आईडीबीआई बैंक निजी क्षेत्र का ऋणदाता है, लेकिन इसे आकलन के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई माना जाता है। इस समय आईडीबीआई में सरकार और सरकार के स्वामित्व वाली जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की हिस्सेदारी संयुक्त रूप से 90 फीसदी से अधिक है।
सरकार पीएसबी को कह रही है कि वे अपनी ताकत के आधार पर बाजारों से पूंजी जुटाएं। सार्वजनिक क्षेत्र के दो ऋणदाता- बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ऐसा करने की योजना बना रहे हैं।
मर्चेन्ट बैंकरों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद तेज आर्थिक गिरावट के प्रतिकूल प्रभावों के कारण परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव आ सकता है। उनका कहना है कि अभी बड़े प्रशासनिक सुधारों को भी लागू नहीं किया गया है।
पीएसबी के वरिष्ठ कार्याधिकारियों का कहना है कि कार्यकारी निदेशकों जैसे शीर्ष कार्याधिकारियों की समय पर नियुक्ति और बोर्ड में निदेशकों के रूप में पेशेवरों को शामिल कर उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाना अब भी एक मुद्दा बना हुआ है।
बैंक कार्याधिकारियों और रेटिंग एजेंसी के विश्लेषकों का कहना है कि पूंजी जुटाने की चुनौतियां पीएसबी के लिए नियामकीय पूंजी पर्याप्तता नियम पूरे करने और ऋण वृद्धि को सहारा देने में बाधा नहीं बनने के आसार हैं। इसके अलावा सरकार ने 2020-21 के बजट में आवंटित पूरी इक्विटी पूंजी बैंकों में नहीं डाली है।
तरतला मदद और पूंजी सहित नियामकीय शर्तों में रियायत से परिसंपत्ति गुणवत्ता दबाव का असर कम हो सकता है। इसके अलावा ऋण वृद्धि कमजोर बनी हुई है। यह 20 नवंबर, 2020 तक 5.8 फीसदी रही है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 8 फीसदी थी। बेसल 3 नियमनों के मुताबिक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकोंं को 31 मार्च, 2020 से पूंजी पर्याप्तता अनुपात 11.5 फीसदी रखना होगा। इसे 9 फीसदी पूंजी पर्याप्तता अनुपात और 2.5 फीसदी पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) में बांटा गया है।
