एचडीएफसी बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक से उच्च ऋण-जमा (credit-deposit/CD) अनुपात कम करने के लिए समय सीमा संबंधी दिशानिर्देश नहीं मिले हैं, लेकिन बैंक का लक्ष्य यथासंभव यह लक्ष्य जल्द से जल्द हासिल कर लेने और लाभदायक वृद्धि की प्रतिबद्धता बरकरार रखने की है।
एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ शशिधर जगदीशन ने पहली तिमाही के नतीजे के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा,‘हमें कोई नियामकीय निर्देश नहीं मिला है, लेकिन प्रक्रिया के तहत पूरी ताकत के साथ हम यह कर रहे हैं, जिससे कि जल्द से जल्द इसे कम किया जा सके और लाभदायक वृद्धि का हमारा मकसद अभी भी बरकरार है।’
उन्होंने कहा, ‘हम व्यवस्था में जोखिम के बारे में अवगत हैं। इसके लिए किसी के प्रेरित करने पर करने के बजाय हम इसे स्वयं करना चाहते हैं, क्योंकि जल्द से जल्द इसे घटाना आर्थिक दृष्टि से समझदारी भरा कदम है।’
बहरहाल जगदीशन ने समयावधि नहीं बताई कि कब तक सीडी रेश्यो विलय के पहले की स्थिति में पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा, ‘सैद्धांतिक रूप से हम इसे एक साल के भीतर करना चाहेंगे। लेकिन यह ऐसा नहीं है, जैसे एकबारगी कुछ कर दिया जाए। यह व्यावहारिक नहीं है।’
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (जून 2024) की समाप्ति पर एचडीएफसी बैंक का सीडी रेश्यो 104 प्रतिशत था और बैंक की मंशा इसे घटाकर विलय के पहले के स्तर, 85 प्रतिशत पर लाने की है।
इसके पहले जगदीशन ने शेयर धारकों को भेजे अपने संदेश में कहा था कि बैंक अपने दिए जाने वाले ऋण में वृद्धि कम करके जमा दर से सुस्त करेगा। रिजर्व बैंक ने बढ़े सीडी रेश्यो को लेकर बार बार चेतावनी दी थी, उसके बाद ऐसा किया गया था।
हाल में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा था कि कुछ समय से बैंकों में जमा घट रहा है और यह उनके द्वारा दिए जा रहे कर्ज से पीछे छूट रहा है, इससे व्यवस्था में नकदी को लेकर ढांचागत समस्या होने की संभावना बढ़ रही है। उन्होंने कहा था कि मौजूदा नियामकीय चिंता यह है कि ढांचागत बदलाव हो रहा है, जिसे बैंकों को पहचानने और इसके मुताबिक रणनीति बनाने की जरूरत है।
एचडीएफसी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधन ने साफतौर पर कहा है कि जमा आकर्षित करने के लिए बैंक ब्याज दर की जंग में शामिल नहीं होगा, इसके बजाय उसे ‘सहभागिता और सर्विस डिलिवरी’ पर भरोसा है।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने कहा, ‘दर हमारे लिए अहम निर्धारक या चालक नहीं है। हम दरों की प्रतिस्पर्धा में नहीं पड़ते हैं, बल्कि उचित दर पर काम करते हैं। यह ऐसी चीज नहीं है, जिसके माध्यम से हम अधिक जमा हासिल करने की कवायद करें।’ उन्होंने कहा कि बैंक सहभागिता और बेहतर सेवाएं प्रदान करके ज्यादा ग्राहकों को जोड़ना चाहता है।
निजी क्षेत्र के बैंक ने संकेत दिए हैं कि थोक और खुदरा दोनों तरह के ऋण के चयन और दरों के चयन में सावधानी बरतेगा।
वैद्यनाथन ने कहा, ‘थोक की श्रेणी में ऋण की मांग ज्यादा है, लेकिन दरें कम हैं। जोखिम रहित सरकारी प्रतिभूतियों पर इन ऋण का प्रसार कम है और प्रतिस्पर्धा इसे और घटा रही है। इसे देखते हुए हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मूल्य निर्धारण और चयन में सतर्कता बनी रहे।’