बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है और सकल गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) का अनुपात घटकर दशक में सबसे कम रह गया है। इसके साथ ही शुद्ध NPA (net NPA) अनुपात 1 फीसदी पर आ गया है जो वित्त वर्ष 2010-11 के बाद सबसे कम है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की आज जारी छमाही वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात भी ऐतिहासिक ऊंचाई पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति में नरमी के साथ वृद्धि की गति बरकरार है, चालू खाते का घाटा भी कम हुआ है, विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा और वित्तीय समावेशन एवं सुदृढ़ वित्तीय तंत्र की बदौलत अर्थव्यवस्था सतत वृद्धि की राह पर आगे बढ़ रही है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा, ‘अत्यधिक अनिश्चितता और अपार चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार हुआ और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है।’
दास ने कहा कि भारत का वित्तीय क्षेत्र स्थिर और मजबूत है, जो बैंक की सतत उधारी वृद्धि, NPA का कम स्तर और पर्याप्त पूंजी पर्याप्तता तथा अधिशेष तरलता से परिलक्षित होता है।
उन्होंने कहा, ‘बैंकों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की बैलेंस शीट भी सुदृढ़ हुई हैं, जिससे वृद्धि के लिए ‘दोहरी बैलेंस शीट का लाभ’ की स्थिति बनी है।’ रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि बैंकों और कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत होने से भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य भी उज्ज्वल है।
कॉमर्शियल बैंकों का सकल NPA अनुपात (gross NPA ratio) 31 मार्च, 2023 को 3.9 फीसदी रहा, जो एक साल पहले 5.9 फीसदी था। इसी तरह शुद्ध NPA अनुपात इस दौरान 1 फीसदी रहा जो वित्त वर्ष 2022 में 1.7 फीसदी था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अनुसूचित कॉमर्शियल बैंकों का पूंजी और जोखिम-भारांश संपत्ति अनुपात ( risk-weighted assets ratio- CRAR) तथा सामान्य इक्विटी टियर 1 अनुपात मार्च 2023 में बढ़कर क्रमश: 17.1 फीसदी और 13.9 फीसदी की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया है।’
उधारी जोखिम के लिए वृहद दबाव परीक्षण से पता चलता है कि कॉमर्सियल बैंक गंभीर दबाव की स्थिति में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का अनुपालन करने में सक्षम होंगे। दबाव परीक्षण के नतीजों के अनुसार मार्च 2024 में कॉमर्शियल बैंकों को सकल NPA सुधरकर 3.6 फीसदी पर आ सकता है। हालांकि वृहद आर्थिक माहौल ज्यादा खराब होता है तो मध्यम स्थिति में यह 4.1 फीसदी और गंभीर दबाव की स्थिति में 5.1 फीसदी पर पहुंच सकता है।
इस बीच प्रोविजनिंग कवरेज अनुपात (PCR) जून 2016 में 40.1 फीसदी से सुधरकर मार्च 2023 में 74 फीसदी हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘शुद्ध ब्याज आय में मजबूत वृद्धि और फंसे कर्ज के लिए कम राशि अलग रखने की जरूरत के कारण वाणिज्यिक बैंकों का कर बाद मुनाफा 2022-23 में 38.4 फीसदी बढ़ा है।’
वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने स्थिरता और मजबूती का प्रदर्शन किया है। हालांकि रिपोर्ट में मुद्रास्फीति, खास तौर पर मुख्य मुद्रास्फीति को लेकर आगाह भी किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अप्रैल में थोड़ी गिरावट के बावजूद मुख्य मुद्रास्फीति लगातार ऊंची बनी हुई है, वहीं वैश्विक वृद्धि धीमी रहने और वैश्विक वित्तीय तंत्र में संभावित उथल-पुथल से वृद्धि को जोखिम हो सकता है।’
रिपोर्ट के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है और यह अप्रैल में 7.8 फीसदी से घटकर मई में 4.3 फीसदी रह गई है। लेकिन मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी 5 फीसदी से ऊपर है। इसलिए वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता तलाशना आरबीआई की प्राथमिकता बनी हुई है।