ब्याज दरों में कम कटौती, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोर और सह-उधारी अनुबंध के तहत ऋणदाता इस साल त्योहारों के दौरान अपने ऋण कारोबार को महामारी के पूर्व स्तर पर पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं। बैंकिंग तंत्र में भरपूर नकदी है है और ब्याज दरें भी सर्वकालिक निचले स्तर पर हैं, ऐसे में ब्याज दरों को लेकर ऋणदाताओं के बीच उतनी प्रतिस्पर्धा भी नहीं होगी। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार जुलाई 2019 में औसत उधारी दर रुपया मद में 9.77 फीसदी रही, जो जून 2021 के करीब 7.80 फीसदी से 200 आधार अंक कम है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी तथा इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के चेयरमैन राजकिरण राय जी ने कहा कि ब्याज दरें निचले स्तर पर हैं और ऋणदाताओं के पास बहुत विकल्प नहीं बचे हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर बैंक एक जैसी ऋण योजनाओं की पेशकश कर रहे हैं इसलिए सेवा की गुणवत्ता एवं तेजी से ऋण आवंटित करने जैसी सुविधाएं ही ग्राहकों को लुभाने का माध्यम रह गई हैं।
बैंकों ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल खंड में भारी निवेश किया है जिनसे ग्राहकों को कर्जदाताओं से निर्बाध रूप से संवाद करने और उपयुक्त ऋण योजना चुनने में मदद मिलेगी। ग्राहकों से बिना मिले ही उन्हें ऋण आवंटित करने का चलन खासा बढ़ा है लेकिन बैंक इसके लिए ग्राहकों की साख पर पैनी नजर रखते हैं। डिजिटल माध्यम से होने वाले कारोबार की हिस्सेदारी 35-40 प्रतिशत रह सकती है जो कोविड-19 महामारी से पहले महज 8-10 प्रतिशत हुआ करती थी।
कोटक महिंद्रा बैंक में अध्यक्ष (उपभोक्ता परिसंपत्ति) अंबुजा चांदना ने कहा कि डिजिटल माध्यम से ऋण आवंटन में कोविड-19 पूर्व की अवधि के मुकाबले 3-4 गुना बढ़ोतरी होगी। बैंक ऑफ बड़ौदा में महाप्रबंधक एवं प्रमुख (आवास ऋण एवं खुदरा परिसंपत्ति) हर्षद सोलंकी भी चांदना के विचार से सहमत हैं। सोलंकी ने कहा कि इस बार डिजिटल माध्यम से ग्राहकों से संवाद करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। डिजिटल माध्यम से ऋण की पेशकश पर ब्याज दरों में छूट आदि की पेशकश की जाएगी।
इस त्योहारी मौसम में वित्त-तकनीक, वित्त कंपनियों के साथ भागीदारी से ऋण आवंटित करने की भी पहल की जाएगी। ऋण वसूली के मामले में एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों की पहुंच दूर-दूर तक है। आरबीआई ने दूसरे संस्थानों के साथ साझेदारी के माध्यम से जोखिम साझा करने और ऋण आवंटित करने से जुड़े दिशानिर्देशों में पिछले वर्ष संशोधन किया था। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अधिकारी ने कहा कि डिजिटल माध्यम और दूसरे संस्थानों के सहयोग से ऋण आवंटन की यह महज शुरुआत है। इस अधिकारी ने कहा कि देश के पूर्वी और दक्षिणी भागों में एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त संस्थानों की पहुंच अधिक है इसलिए ऋण आवंटन के लिए यह इंतजाम इन हिस्सों में अधिक कारगर होगा। त्योहारों में खुदरा ऋण आवंटन की रफ्तार पर बैंक थोड़ा सतर्क रवैया भी रख रहे हैं। महामारी से कारोबार को हुए नुकसान के बाद बैंक खुदरा ऋणों में वृद्धि को लेकर आशान्वित होने के साथ ही सतर्क भी हैं। महामारी के कारण थमी मांग त्योहारी मौसम में उभरने से बैंकों को कारोबार करने की एक मजबूत वजह दे सकता है।