सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में इक्विटी बाजार से 25,200 करोड़ रुपये जुटाने के लिए वित्त मंत्रालय से मंजूरी हासिल की है। मंजूरी से संबंधित आंतरिक दस्तावेज को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने देखा है। इस कदम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी वृद्धि के लिए पूंजी की जरूरतें तथा 25 फीसदी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की नियामकीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में अभी तक पात्र संस्थागत नियोजन (QIP) के जरिये 8,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इनमें से पंजाब नैशनल बैंक ने 3.15 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश कर 5,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 3,500 करोड़ रुपये की पूंजी जुटाई है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक किसी बैंक ने ओपन फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये पूंजी नहीं जुटाई है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जब क्यूआईपी के माध्यम से पैसे जुटाते हैं तो वह पैसा कंपनी के पास जाता है क्योंकि इसमें नए शेयर जारी किए जाते हैं जबकि ओएफएस के मामले में पैसा सरकार के पास जाता है क्योंकि इसमें मौजूदा शेयरों की बिक्री की जाती है।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र को चालू वित्त वर्ष में कुल 5,000 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी मिली है जिनमें से बैंक 8.46 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश कर 3,500 करोड़ रुपये जुटा चुका है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 3.95 फीसदी इक्विटी के एवज में 6,000 करोड़ रुपये जुटाने का प्रस्ताव किया है जबकि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 4.92 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश कर 3,200 करोड़ रुपये जुटा सकता है। यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और पंजाब ऐंड सिन्ध बैंक को भी चालू वित्त वर्ष में 2,000-2,000 करोड़ रुपये जुटाने की मंजूरी मिली है।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आम तौर पर इक्विटी के जरिये पूंजी जुटाने के लिए हम निदेशक मंडल और वित्तीय सेवाओं के विभाग से मंजूरी लेते हैं। बैंकों को अपने बुनियादी ढांचे के विस्तार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों का अनुपालन करने के लिए पूंजी की दरकार है।’
सेबी ने सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों को विशेष छूट देते हुए उन्हें 25 फीसदी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अगस्त 2026 तक का समय दिया है। अधिकारी ने बताया कि कुछ बैंक न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता निमयों को पहले ही पूरा कर चुके हैं और अब कारोबार की वृद्धि के लिए पूंजी जुटा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘इक्विटी पूंजी से बैंकों को अपनी पूंजी पर्याप्तता अनुपात को बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा अतिरिक्त पूंजी के लिए हमें सरकार के पास नहीं जाना होता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे बाजार से पूंजी जुटाने में मदद मिल रही है। हम हर बार सरकार के पास नहीं जा सकते इसलिएअपनी जरूरतों के हिसाब से पूरे साल के लिए पूंजी जुटाने के लिए एकमुश्त अनुमति ली है।’